For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस जीवन में लगा रहेगा ,
दुःख-सुख हार जीत!
दृढ़ता से बढ़ते रहो ,
गाओ विजय का गीत !!

अविराम बढ़ते चलो ,
भर लो अन्दर शक्ति भरपूर !
यदि इच्छा शक्ति प्रबल होगी ,
नहीं लगेगी मंजिल दूर !!

विकारों का परित्याग कर ,
सद्गुणों को अन्दर भर !
कितना खोया कितना पाया ,
बंद कर अतीत का घर !!

एक दिन ऐसा आएगा ,
स्वयं रास्ता तुम्हे रास्ता बताएगा ,
तुम एक कदम चलोगे ,
वो कदम चला आएगा !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

Views: 584

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on April 4, 2013 at 11:52am

आदरणीय गणेश सर क्या कहूँ बड़ी शर्म आ रही है अपनी इस गलती पर ..आगे से विशेष ध्यान दूंगा .....सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2013 at 11:43am

क्या कहूँ !! काश रचना पर आपने समय दिया होता, भाई आप यह क्यों नहीं समझते कि कविता केवल शब्दों का समुच्चय भर ही नहीं हैं , शब्द संयोजन मायने रखते हैं, गेयता एक दम से बाधित है, कथ्य मजबूत होते हुए भी रचना शिल्प पर कमजोर हो गई हैं । 

आदरणीय रकताले साहब से बिलकुल सहमत हूँ । रचना पर समय दीजिये ।

सादर ।   

Comment by ram shiromani pathak on April 4, 2013 at 11:38am

आदरणीय अशोक सर मै आपसे पुर्णतः सहमत हूँ गलती हुई  है ....सुधारने का प्रयास करता हु.....आपने अपना अमूल्य सुझाव दिया उसके लिए हार्दिक आभार .........

Comment by ram shiromani pathak on April 4, 2013 at 11:36am

adarneey kewl ji ,adarneey laxman sir hardik aabhar......

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 4, 2013 at 9:55am

आदरणीय, राम शिरोमणि पाठक जी,  सुप्रभात!  सुन्दर सकारात्मक सोच है।  सादर,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 4, 2013 at 9:40am

सकारात्मक सोच के लिए बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 4, 2013 at 8:40am

अविराम बढ़ते चलो ,
भर लो अन्दर शक्ति भरपूर !..............अन्दर लिखने से भाव स्पष्ट नहीं हो रहे हैं.
यदि इच्छा शक्ति प्रबल होगी,
नहीं लगेगी मंजिल दूर !!

भाई राम शिरोमणि जी रचना का एक बार पुनः अवलोकन करें मुझे लगता है प्रथम पद के बाद के सभी पदों में सुधार की जरूरत है.

अनथक तुम बढ़ते चलो,

धर मन आत्म शक्ति भरपूर|

पूर्ण प्रबल हो मन भावना,

नहीं लगती मंजिल दूर ||

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service