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कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी

रुस्तमे-हिन्द  दारासिंह  के देहावसान पर  उनके  प्रशंसक अलबेला खत्री की विनम्र शब्दांजलि

नील गगन के पार गया है बाबाजी
छोड़ के यह संसार गया है बाबाजी

हरा सका न कोई जिसे अखाड़े में
मौत से वह भी हार गया है बाबाजी

देवों को कुछ दाव सिखाने कुश्ती के
कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी

अपनी माता के संग भारत माता का
सारा  क़र्ज़ उतार गया है बाबाजी

हाय! रुस्तमे-हिन्द को कैसा रोग लगा
हर इलाज बेकार गया है बाबाजी

रिंग का किंग, रिंग तोड़ चला इक झटके में
सुपर किंग के द्वार गया है बाबाजी

दारासिंह के देह अन्त पर 'अलबेला'
दुःख में यह गुरूवार गया है बाबाजी

-अलबेला खत्री

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 12, 2012 at 11:26pm
सच कहाँ आपने अलबेला जी,
हमारी काव्यत्मक श्रद्धांजली-
रामायण के कलाकार हनुमान,
देख तुम्हारे सारे गुण वैभव को, 
स्वर्ग में भी बुला लिया ससम्मान 
पर जग उदास है खो कर तुमको 
स्वर्ग में भी सम्मान मिला जिसको 
कोटि प्रणाम हे शेरे दारा तुमको |
 -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 11:13pm

धन्यवाद दीप्ति जी.........
आपको अच्छी लगी, मेरे लिए ये सुकूं की बात  है
___धन्यवाद  फिर से एक बार.............

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 11:11pm

सराहना करने में आप बहुत उदार हैं राजेश कुमारी जी
सचमुच  अत्यन्त कुशल व्यवहार हैं राजेश कुमारी जी
शब्द चातुर्य  तो ठीक है, जैसा भी है, काम चल जाएगा
पर बन्दा आपकी कृपा का कर्ज़दार है राजेश कुमारी जी

Comment by deepti sharma on July 12, 2012 at 11:09pm

आपकी  दारा सिंह जी को दी गयी शब्दांजलि मौन कर देने वाली है लाजबाव ,,,

विनम्र श्रधांजलि


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2012 at 11:03pm

लाजबाब निःशब्द हूँ आपके शब्द चातुर्य को देख कर दारा सिंह जी को हमारी भी विनम्र श्रधांजलि

कृपया ध्यान दे...

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