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बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी

झूमो, नाचो, मौज मनाओ बाबाजी
जीवन का आनन्द उठाओ बाबाजी

ये क्या, जब देखो तब रोते रहते हो ?
घड़ी दो घड़ी तो मुस्काओ बाबाजी

मुझ जैसे मसखरे का चेला बन जाओ
दिवस रैन दुनिया को हँसाओ बाबाजी

ये सब नेता रक्तपिपासु कीड़े हैं
इनसे मत कुछ आस लगाओ बाबाजी

जनता के दुःख को जो अपना दुःख समझे
अब ऐसी सरकार बनाओ  बाबाजी

एक मिनट में ऐसी-तैसी कर देगी
बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी

ओ बी ओ की परिपाटी है 'अलबेला'
आपस में सब प्यार लुटाओ बाबाजी

-अलबेला खत्री 

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Comment by Dr.Ajay Khare on January 8, 2013 at 4:06pm

ALBELA JI AAPKI RACHANA ALBELI HE BADHAI

Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 10:37pm

मैं अकेले कहाँ हँसता हूँ  उमाशंकर जी ?
ज़माना मेरे साथी हँसता है.....हा हा हा हा

__आपके स्नेह का कर्ज़दार हूँ,,,,,,,,,,,,,आभार

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 14, 2012 at 10:31pm

क्या बात है अलबेला जी आपकी ये बेबाकी की मै घर में भी मुस्करा  लेता हूँ .........बहुत बढ़िया लगी.... आप चिंता मत करो हम किसी से नहीं कहेंगे .... ऐसे एक सुझाव है अकेले में मत हंसा करो ...हा हा हा

Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 10:23pm

आपने पकड़ लिया भैया ....हा हा हा हा

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:58pm

एक मिनट में ऐसी-तैसी कर देगी
बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी ........... एक पुरानी बात दोहराता हूँ -"अनुभव बोलता है !" हा हा हा हा !

Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 6:45pm

भ्रमर जी.........
धन्यवाद  आपके प्यार का कर्ज़दार हूँ.........

संजीवन हनुमान ले गये बाबाजी
धनवंतरी दूकान ले गये बाबाजी

फिर भी बचा के रक्खा था जो भारत ने
नेता वो सामान ले गये बाबाजी

दबा के रखी थी थोड़ी सी ओंठों में
भ्रमरजी वो मुस्कान ले गए बाबाजी...हा हा हा आहा

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 14, 2012 at 6:35pm

जय श्री राधे 

आप ने आन लाईन हंसा भी दिया है बाबा जी 
खिला रहेगा जब तक ये दिल उपकार रहेगा बाबा जी ...
बड़े काम की औषधि है ये लगता हिम चढ़ आये हो 
धन्वन्तरी से संजीवनी लाये घोंट पिलाये बाबा जी ...
भ्रमर ५  
Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 6:21pm

आदरणीय सुरेन्द्र कुमार शुक्ला भ्रमर जी
प्रणाम

आपने ये जो प्यार दिया है बाबाजी

प्यार और सत्कार दिया है बाबाजी 
उठ के खड़ा होने की कहाँ ज़रूरत है ?
on line  स्वीकार किया है बाबाजी ...हा हा हा

__साभार

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 14, 2012 at 6:04pm

आदरणीय अलबेला जी वाह वाह वाह  वाह वाह वाह ....मन करता है मिथुन दा जैसे उठ के खड़ा हो के आप का ऐसे ऐसे सम्मान करूं .....भ्रमर ५ 

Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 8:49am

धन्यवाद सतीश मापतपुरी जी,,,,,
आभार

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