रुस्तमे-हिन्द दारासिंह के देहावसान पर उनके प्रशंसक अलबेला खत्री की विनम्र शब्दांजलि
नील गगन के पार गया है बाबाजी
छोड़ के यह संसार गया है बाबाजी
हरा सका न कोई जिसे अखाड़े में
मौत से वह भी हार गया है बाबाजी
देवों को कुछ दाव सिखाने कुश्ती के
कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी
अपनी माता के संग भारत माता का
सारा क़र्ज़ उतार गया है बाबाजी
हाय! रुस्तमे-हिन्द को कैसा रोग लगा
हर इलाज बेकार गया है बाबाजी
रिंग का किंग, रिंग तोड़ चला इक झटके में
सुपर किंग के द्वार गया है बाबाजी
दारासिंह के देह अन्त पर 'अलबेला'
दुःख में यह गुरूवार गया है बाबाजी
-अलबेला खत्री
Comment
आपका स्वागत है बड़े भाई संदीप द्विवेदी जी........
अलविदा रुस्तमे-हिन्द !
रूस्तमे हिंद स्व० दारा सिंह जी को अर्पित आपकी इस भावभीनी श्रद्धांजलि में हम भी शरीक़ है अलबेला जी! इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें|
आपका स्वागत है रेखा जी................
अलबेला जी ,काव्यांजली द्वारा आपने रुस्तमे हिंद को अर्पित किये है श्रद्धा सुमन ,उस वीर पुरुष को मेरा नमन
आपका स्वागत है डॉ प्राची सिंह जी.....
सादर
स्वागत है उमाशंकर जी......
हम सभी व्यथित थे...........
__प्रभु उस सच्चे सूरमा को अपने श्री चरणों में स्थान दें............विनम्र श्रद्धांजलि
सही कहा अलबेला जी कल का दिन हमारे लिए मातमी बना रहा मैंने दारासिंग जी की कई कुस्तिया देखी थी
उनकी कुस्ती देखने के लिए से महीनों से इंतजार किया करता था|उनकी फिल्मे देखने के लिए मन उत्साहित रहता था
उनके और रंधावा के बिच कुस्ती देखते हम दाँव ढूंढा करते थे उनका रूम घूमना बगली मारना धोबी पछाड लगाना ....
हे राम अपने इस हनुमान को अपनी शरण में रखना
दारा सिंग जी को विनम्र श्रध्दांजलि
आपके स्वागत का स्वागत है मित्रवर अम्बरीश जी.......
आभार
______ :-) :-) :-) :-)
आपका स्वागत है संदीप कुमार पटेल; जी.......
आभार
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