For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी

रुस्तमे-हिन्द  दारासिंह  के देहावसान पर  उनके  प्रशंसक अलबेला खत्री की विनम्र शब्दांजलि

नील गगन के पार गया है बाबाजी
छोड़ के यह संसार गया है बाबाजी

हरा सका न कोई जिसे अखाड़े में
मौत से वह भी हार गया है बाबाजी

देवों को कुछ दाव सिखाने कुश्ती के
कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी

अपनी माता के संग भारत माता का
सारा  क़र्ज़ उतार गया है बाबाजी

हाय! रुस्तमे-हिन्द को कैसा रोग लगा
हर इलाज बेकार गया है बाबाजी

रिंग का किंग, रिंग तोड़ चला इक झटके में
सुपर किंग के द्वार गया है बाबाजी

दारासिंह के देह अन्त पर 'अलबेला'
दुःख में यह गुरूवार गया है बाबाजी

-अलबेला खत्री

Views: 891

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 11:12pm

आपका स्वागत है बड़े भाई संदीप द्विवेदी जी........
अलविदा रुस्तमे-हिन्द !

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 13, 2012 at 7:28pm

रूस्तमे हिंद स्व० दारा सिंह जी को अर्पित आपकी इस भावभीनी श्रद्धांजलि में हम भी शरीक़ है अलबेला जी! इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें|

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 3:56pm

आपका स्वागत है रेखा जी................

Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 3:25pm

अलबेला जी ,काव्यांजली द्वारा आपने रुस्तमे हिंद को अर्पित किये  है श्रद्धा सुमन ,उस वीर पुरुष को मेरा नमन  

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:58am

आपका स्वागत है डॉ प्राची सिंह जी.....
सादर

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:56am

स्वागत है  उमाशंकर जी......
हम सभी व्यथित थे...........

__प्रभु उस सच्चे सूरमा को अपने श्री चरणों में स्थान दें............विनम्र श्रद्धांजलि


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 13, 2012 at 9:44am
आदरणीय अलबेला जी..
इस भावभीनी काव्य श्रद्धांजलि के हर भाव को श्रद्धानत भाव से महसूस करते हुए, दारासिंह जी को सादर श्रद्धांजलि.
Comment by UMASHANKER MISHRA on July 13, 2012 at 9:44am

सही कहा अलबेला जी कल का दिन हमारे लिए मातमी बना रहा मैंने दारासिंग जी की कई कुस्तिया देखी  थी

उनकी कुस्ती देखने के लिए से महीनों से इंतजार किया करता था|उनकी फिल्मे देखने के लिए मन उत्साहित रहता था

उनके और रंधावा के बिच कुस्ती देखते हम दाँव ढूंढा करते थे उनका रूम घूमना बगली मारना धोबी पछाड लगाना ....

हे राम अपने इस हनुमान को अपनी शरण में रखना

दारा सिंग जी को विनम्र श्रध्दांजलि

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:30am

आपके स्वागत का स्वागत है  मित्रवर अम्बरीश जी.......
आभार
______ :-)   :-)   :-)   :-)

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:28am

आपका स्वागत है  संदीप कुमार पटेल; जी.......
आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service