For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या शहर ,क्या गाँव

मेरे लिए
क्या शहर ,क्या गाँव
जीवन तपती दुपहरी
नहीं ममता की छाँव
 
गाँव में,भाई को
मेरी देख रख में डाल
माँ जाती ,भोर से
खेती की करने
सार सम्भाल
 
शहर में,बड़ा भाई
जाता है कारखाने
गृहस्थी का बोझ बंटाने
खुद को काम में खपाने
 
कच्ची उम्र की मजबूरी
काम पूरा,मजदूरी मिलती अधूरी
हाथ में कलम पकड़ने की उम्र में
बनाता है ,कारखाने में बीड़ी
बाल श्रम का यह रोग
पहुँचता जाएगा
पीढ़ी दर पीढ़ी
 
छोटे भाई की देख रख का
नहीं हैं मलाल
पर मेरे लिए,जाने कब
आयेगा वह साल
जब मैं भी
जा सकूंगी स्कूल
 
ज़िंदगी की चक्की  से
गर दो घंटे भी
फुर्सत पाऊँ
खुद पढूँ ,साथ मैं
छोटे भैया को भी पढाऊँ

 
कुछ कर गुजरने की चाह
मन में संवारती
छोटे भाई को दुलारती
गीली लकड़ियाँ सुलगाती
रांधती हूँ दाल भात
माँ वापिस आती,थकी हारी
लिए शिथिल गात
 
दिन भर  की थकान से पस्त
सो जाती,बिन किये कोई बात
ममता के दो बोल को तरसता
जीवन मेरा,मेरे जीवन का नाम अभाव
मेरे लिए क्या शहर ,क्या गाँव
जीवन तपती दुपहरी,नहीं ममता की छाँव
 

  • रजनी छाबड़ा

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 3, 2012 at 11:32pm

ममता के दो बोल को तरसता 
जीवन मेरा,मेरे जीवन का नाम अभाव
मेरे लिए क्या शहर ,क्या गाँव 
जीवन तपती दुपहरी,नहीं ममता की छाँव

आदरणीया रजनी  जी ..सुन्दर रचना ..काश ऐसा न हो ..बेटियों को भरपूर प्यार मिलना ही चाहिए  ..भ्रमर ५ 

  ..भ्रमर ५ 

 

Comment by rajni chhabra on May 6, 2012 at 9:50pm

thanx,Gaurav for ur review

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 6, 2012 at 5:23pm

ज़िंदगी की चक्की  से
गर दो घंटे भी 
फुर्सत पाऊँ
खुद पढूँ ,साथ मैं
छोटे भैया को भी पढाऊँ

आदरणीया रजनी जी इस भावपूर्ण लेखन के लिए बधाई

Comment by rajni chhabra on May 3, 2012 at 10:27pm

dushyant jee,kavita ke mrm tak pahunchane ke liye abhaar

 

Comment by rajni chhabra on May 3, 2012 at 10:26pm

kushwaha jee,bahut bahut abhaar aapke amuly comment ke liye

 

Comment by दुष्यंत सेवक on May 3, 2012 at 4:31pm

आदरेया रजनी जी मजदूर की अवस्था का मार्मिक बखान आपने अपनी कविता में सुन्दर शब्दों के माध्यम से किया है.. बात सीधे मर्म पर चोट करती है.. इस भावपूर्ण लेखन के लिए बधाई व शुभकामनायें स्वीकारें

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2012 at 1:14pm

bacche ki manobhavna, man ki pida ka bahut sundar tarike se prastut karne par badhai.aadarniyaa rajni ji, saadar

Comment by rajni chhabra on May 1, 2012 at 10:41pm

shukriya,Chotu Singh ji, main appkee rai se itefaq rkhtee hon

Comment by rajni chhabra on May 1, 2012 at 5:30pm

RAJESH KUMAREE JII,TAHE DIL SE SHUKRIYA ,ITNE UMDA COMMENT KE LIYE

Comment by rajni chhabra on May 1, 2012 at 5:29pm

Saurabh ji,aapke swaednsheel comment ke liye abhaar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
yesterday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service