For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा पंचक. . . . क्रोध

दोहा पंचक. . . क्रोध

जितना संभव हो सके, वश में रखना क्रोध ।
घातक होते हैं बड़े, क्रोध जनित प्रतिरोध ।।

देना अपने क्रोध को, पल भर का विश्राम ।
टल जाएंगे शूल से, क्रोध जनित परिणाम ।।

शमन क्रोध का कीजिए, मिटता बैर समूल ।
प्रेम भाव की जिंदगी, माने यही उसूल ।।

रिश्ते होते खाक जब, जले क्रोध की आग ।
प्रेम विला में गूँजते, फिर नफरत के राग ।।

क्रोध बैर का मूल है, क्रोध घृणा की आग ।
क्रोध अनल के कब मिटे, अन्तर्मन से दाग ।।

सुशील सरना / 24-12-23

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 145

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 22, 2024 at 1:28pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 15, 2024 at 12:11am

क्रोध बैर का मूल है, क्रोध घृणा की आग ।
क्रोध अनल के कब मिटे, अन्तर्मन से दाग

वाह वाह .. 

हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय सुशील सरना जी

Comment by Sushil Sarna on January 1, 2024 at 3:25pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2024 at 3:02pm

आ. भाई सुशील जी सादर अभिवान। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आप जैसे शायर से बधाई पाकर प्रोत्साहन मिला। हार्दिक धन्यवाद।"
11 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"//मतले की शुरुआत आपने बस शब्द से की है जबकि बस शब्द की मात्रा 2 हाती है। बस शब्द को लघु भी नहीं…"
12 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
15 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
16 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
17 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
18 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय कपूर साहब, मैं ग़ज़ल अभी सीख रहा हूँ। इसलिए आप मेरे प्रश्न को आलोचना कृपया न समझे। मै अपना…"
25 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय नादिर ख़ान जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार करें। बहुत क़रीब था मंज़िल के मैं तभी…"
33 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"जनाब तिलक राज कपूर जी आदाब, एक मुद्दत के बाद आपको तरही मुशाइरे में देख कर ख़ुशी हुई । तरही मिसरे पर…"
44 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय Tilak Raj Kapoor जी आदाब। तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार करें।"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
46 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service