For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी ग़ज़ल...जब सूर्य चले अस्ताचल को

22 22 22 22
जब सूर्य चले अस्ताचल को
गहराय तिमिर घेरे तल को

इक दीप जलाओ अंतस में
जगमग कर दो भूमण्डल को

आवाज बनो तुम गूंगों की
तूफान बना दो हलचल को

जब चलना है, तो साथ चलें
पग से नापें नभ जल थल को

दुःख दुनिया का पी लेंगें 'ब्रज'
रक्खो तैयार हलाहल को
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 13, 2017 at 10:15pm
स्वागत है आदरणीया शिखा जी
Comment by shikha kaushik on May 13, 2017 at 12:09pm
सुंदर रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 12, 2017 at 4:40pm
आदरणीय अनुराग जी सादर अभिवादन स्वीकार करें..जी आदरणीय मैंने भी यही पाया है कि हिंदी ग़ज़ल के लिए ये सर्वाधिक उपयुक्त मापनी है..आपने जो दो युग्मों को जोड़ा वो संगम बहुत ही खूबसूरत लग रहा है..मैं प्रयास करूँगा कि सम्पूर्ण ग़ज़ल को ये रूप प्रदान कर सकूँ..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 11, 2017 at 9:23pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय शुक्ला जी..सादर
Comment by Ravi Shukla on May 11, 2017 at 6:09pm

वाह वाह आदरणीय बृजेश जी बहुत बढि़या गजल कही है । बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 10, 2017 at 12:36pm
नमन संग आभार आदरणीय गिरिराज जी आपकी सलाह अनुसार सुधार किया है..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 10, 2017 at 12:33pm
आदरणीय हेमंत जी हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 10, 2017 at 12:28pm
आदरणीय डा.आशुतोष जी हौसलाफजाई के लिये आपका हार्दिक आभार..सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 10, 2017 at 8:31am

आदरनीय -

// इस बहर में 21 12 को 222 पढ़ा जा सकता है //   ये सही है मेरी  जानकारी से भी ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 10, 2017 at 8:29am

आदरनीय बृजेश भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ प्रेषित हैं ... स्वीकार करें ।
आखिरी शे र में --

चाहें तो गम को दुख  कर सकते हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
50 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service