For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिंदी गजल/गीतिका(टूटता रहता घरौंदा...)

#गीतिका#
***
टूटता रहता घरौंदा फिर बनाना चाहिये
जोड़कर कड़ियाँ जरा-सा गीत गाना चाहिये।1

जिंदगी से दर्द का बंधन बड़ा मशहूर है
जब समय थोड़ा मिले तो मुस्कुराना चाहिये।2

तीर ये कबके सँजोये चल रहे हैं आजतक
बात पहले की भुला नजदीक आना चाहिये।3

आदमी को आदमी के दर्द का अहसास हो
बस हवा ऐसी बहा गंगा नहाना चाहिये।4

मिल रहीं नजरें यहाँ परवान पन चढ़ता नहीं
आपके दिल में जरा मुझको ठिकाना चाहिये।5

फूल छितराये नहीं ऐसी करूँ मैं कामना
पंखुड़ी का मोल घर-घर को बताना चाहिए।6

नाव है मझधार में पर कूल कितनी दूर है?
अब पलक झपके नहीं चप्पू चलाना चाहिये।7
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 858

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 20, 2016 at 11:35am
आपकी सलाह का सर्वदा स्वागत है, आदरणीय।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 20, 2016 at 9:50am

आपने समझा दिया आदरणीय तो मैं समझूँगा ही। आगे से बचने की कोशिश भी करूँगा। 

सादर

Comment by Manan Kumar singh on October 20, 2016 at 9:05am
आदरणीय सैरभ जी, सलाह के लिए शुक्रिया।हाँ, गंगा नहाना पुण्य का काम भी होता है,ऐसी भी समझ आप रख सकते हैं;शायद भाव-संप्रेषण में कोई बाधा न हो,सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 20, 2016 at 4:33am

प्रयास के लिए हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय 

गंगा नहाना चाहिये - गंगा नहाना एक मशहूर मुहावरा है. इसका गलत अर्थों में प्रयोग हुआ है. गंगा नहाना का भाव समर्थित शाब्दिक अर्थ होता है पीछा छुड़ाना या जान बचाना. इस हिसाब से इस मुहावरे का प्रयोग देखें. अगर मुहावरे के रूप में प्रयोग नहीं हुआ है तो फिर इस तरह के वाक्यांशों से बचना चाहिए जो किसी लोकोक्ति या कहावत के रूप में रूढ़ हो चुके हैं.

फिर, हिम्मत दिखाना चाहिए - हिम्मत स्त्रीलिंग शब्द होने से क्रिया दिखानी हो जायेगी. आप उर्दू भाषा की ग़ज़ल नहीं कह रहे हैं इतना तय है.

वैसे काफ़िया कइयों को त्रुटिपूर्ण लग सकता है. लेकिन आपने प्रयोग किया है तो इसकी समझ भी रखें. 

बाकी, प्रयास अच्छा है.

शुभ-शुभ

Comment by Manan Kumar singh on October 19, 2016 at 9:28pm
आदरणीय गिरिराज आभार आपका! पन यानि वचन/प्रतिग्या.......

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 19, 2016 at 8:33pm

आदरणीय मनन भाई , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

परवान पन    ---  पन , मै समझ नही पाया   कही आप - परवान  पर चढ़ता नही तो नही कहना चाहते  ?

Comment by Manan Kumar singh on October 19, 2016 at 6:22pm
आभार आगरणीय शकूर जी!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2016 at 10:42am

अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. मनन कुमार सिंह जी बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service