For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘बेच रहा है आज तिरंगा’

 

चौराहे नाके पर बालक

बेच रहा है आज तिरंगा

 

झंडे लेकर उससे इक दो

कुछ पैसे उसको दे डालो

फिर गाडी में उन्हें लगा कर

आज़ादी की रस्म निभा लो

 

खाली हाथों घर जो लौटा

बाप करेगा पी कर पंगा

 

शनि लेकर कल घूम रहा था

सरसों तेल व जलती बाती

भूखे बच्चे चौराहे पर

कब बीतेगी साढ़े साती

 

रोजी उसकी ही खा जाता 

खादी  जाली का हर दंगा

 

बीते न बस रस्मी होकर

आज़ादी का अपना ये दिन

हो पोषित हर दिन हर मन में

हों हिंदी सब भेदभाव बिन

उस जैसे हर बच्चे के घर

पहुँचे खुशहाली की गंगा

 

 मौलिक व् अप्रकाशित  .  

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on August 17, 2016 at 12:23pm

आपको रचना पसंद आई ,मेरा लिखना सार्थक हुआ आपका हार्दिक आभार आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी ..सादर  

Comment by pratibha pande on August 17, 2016 at 12:20pm

 मेरे इस प्रयास पर उपस्थित हो उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ...सादर  

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 16, 2016 at 10:54pm

बीते न बस रस्मी होकर

आज़ादी का अपना ये दिन

हो पोषित हर दिन हर मन में

हों हिंदी सब भेदभाव बिन

उस जैसे हर बच्चे के घर

पहुँचे खुशहाली की गंगा..............वाह ! बहुत सुंदर सन्देश देती उत्तम रचना.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 16, 2016 at 4:53pm

आदरणीया खूबसूरत भावों   से सजी आपकी इस गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service