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लघुकथा : " बेटी का भाग्य "

" आज कुछ परेशान से दिख रहे हो, क्या बात है ? चाय बना के लाऊँ ?" पत्नी ने पूछा...
" हाँ ! पर थोड़ी कड़क। " पति ने कहा...
कुछ देर बाद...
" ये लो तुम्हारी कड़क चाय, अब बताओ बात क्या है ? " पत्नी ने चाय का प्याला देते हुए कहा...
" आज पुरुषोत्तम जी मिले थे, उनकी बेटी दो दिनों से लापता है। कोचिंग गई थी पर लौटी नही उसके बाद से। " पति ने चाय का घूँट लेते हुए कहा...
" अरे... तो कोचिंग में पता किया के नही उन्होंने ? " पत्नी ने हैरान होते हुए पूछा...
" सब जगह पूछ लिया पर कहीं पता नही चल रहा। उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट कर दिया है। उनकी पत्नी का बुरा हाल है रो-रो के। "
" क्या ज़माना आ गया है ? बेटियां कहीं भी सुरक्षित नही है आज के परिवेश में। कहीं कोख में मारी जा रही, तो कहीं दहेज़ के लिए जला दी जा रही, तो कहीं बलात्कार का शिकार हो रही ! क्या बेटियों के भाग्य में यही लिखा है ?" पत्नी ने प्रश्न करते हुए कहा...
" सही कहा तुमने, इसलिए तो मुझे ईशा की चिंता हो रही है ? अब ये भी तो बड़ी हो रही है..." बेटी की तस्वीर की ओर देखते हुए पति ने चिंतित स्वर में कहा...

( मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on April 27, 2016 at 3:08pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी बिलकुल मैं सभी की लघुकथा को पढूंगा और अध्ययन करूँगा. कथा पर टिपण्णी के धन्यवाद एवं आभार .

Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on April 27, 2016 at 3:06pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी सादर धन्यवाद कथा को समय देने के लिए.

Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on April 27, 2016 at 3:04pm

आदरणीय मिथिलेश जी आपने  कथा को अपना बहुमूल्य  समय दिया एवंम  टिपण्णी की जिसके लिए बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद. जी बिलकुल उस आलेख को जरूर पढूंगा .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 26, 2016 at 10:40pm

आदरणीय नोहर सिंह जी, इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. ओबीओ पर आदरणीय योगराज सर के लघुकथा सम्बंधित आलेख हैं उन्हें एक बार गंभीरता से जरुर पढ़ जाइएगा. कई बातें स्पष्ट होंगी. सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 26, 2016 at 5:47pm

सुंदर  लघु कथा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 26, 2016 at 2:51pm

बेटी को लेकर आज हर माता पिता की चिंता स्वाभाविक है | अच्छी लघु कथा किन्तु जो लघु कथा को सार्थक बनाती है वो पंच लाइन देखने को नहीं मिली आप सबकी लघु कथा पढ़िए आप समझ जायेंगे |बहरहाल हार्दिक बधाई आपको और बेहतर लिखने का प्रयास कीजिये |

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