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" क्यों बे तुझे कहा था ना चाय देके जल्दी आ जाना पर तू यहाँ टीवी देखते खड़ा है। वहां काम कौन करेगा तेरा बाप ? चल दूकान पे। " लडके पर झल्लाते हुए चायवाले ने कहा।
" बस एक ओवर देख के आता हूँ भैयाजी। आखरी ओवर है जीत-हार की बात है। " उत्सुकता से आईपीएल देख रहे लड़के ने कहा।
" अबे एक ओवर के बच्चे, वहाँ चार ओवर जितने गिलास जमा हो गए है, चल बोला ना। " चायवाले ने फिर चिल्लाते हुए कहा।
" हाँ हाँ भैयाजी चल रहा हूँ। और ये आऊट। येsssss मैच जीत गये भैयाजी। " ख़ुशी में झूमते हुए लड़का चिल्लाया और हाथ में पकड़े हुए चाय की केटली और गिलास की दानी हवें में उछाल दिया। और जैसे ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ वह वहां से दुम दबा के भागने लगा।
" अबे ये क्या कर दिया बेवकूफ, रुक कहाँ भाग रहा है, मेरा नुकसान करके। " चायवाला गुस्से से चिल्लाते हुए उसके पीछे भागा।
भागते लड़के को सामने से आते एक मोटरसायकल वाले ने जोरदार ठोकर मारा। लड़का छिटक कर दूर जा गिरा। चायवाला भी पीछे ही था उसने तुरंत लड़के को उठाया। लड़के के सर से खून, नल के धार की तरह बह रहा था। चायवाले ने उस मोटरसायकल वाले के साथ मिलकर लड़के को अस्पताल पहुँचाया और उसकी पट्टी करवाई। लड़का अपने किये पर शर्मिंदा था और चायवाले की ओर माफ़ी भरी निगाहों से देख रहा था। ये देख चायवाले ने कहा, " अबे कल से दूकान पर ही आईपीएल देखना और ठीक से काम करना गिलास मत तोडना। "
" पर भैयाजी टीवी ? "
" अबे घर वाली टीवी दूकान पे लगा लेंगें। अब चल..." मुस्कुराते हुए चायवाले ने कहा।

नरेंद्र एन ध्रुव
रायपुर

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on April 27, 2016 at 3:12pm

आदरणीय समर कबीर जी सादर धन्यवाद एवं आभार.

Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on April 27, 2016 at 3:10pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी आपने कथा को कीमती समय दिया और बहुमूल्य टिपण्णी की जिसके लिए सादर धन्यवाद एवं आभार .


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Comment by rajesh kumari on April 26, 2016 at 9:15pm

बहुत अच्छी सुखान्तक  रोचक लघु कथा हार्दिक बधाई आपको नरेन्द्र जी |

Comment by Samar kabeer on April 25, 2016 at 12:33pm
जनाब नरेंद्र जी आदाब,आपकी लघुकथा पसन्द आई बधाई स्वीकार करें ।

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