For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"कल आपका बेटा परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा गया है, यह आखिरी चेतावनी है, अब भी नहीं सुधरा तो स्कूल से निकाल देंगे|" सवेरे-सवेरे विद्यालय में बुलाकर प्राचार्य द्वारा कहे गए शब्द उसके मस्तिष्क में हथौड़े की तरह बज रहे थे| वो क्रोध से लाल हो रहा था, और उसके हाथ स्वतः ही मोटरसाइकिल की गति बढा रहे थे|

"मेरी मेहनत का यह सिला दिया उसने, कितना कहता हूँ कि पढ़ ले, लेकिन वो है कि.... आज तो पराकाष्ठा हो गयी है, रोज़ तो उसे केवल थप्पड़ ही पड़ते हैं, लेकिन आज जूते ही....|" यही सोचते हुए वो घर पहुँच गया| तीव्र गति से चलती मोटरसाइकिल ब्रेक लगते ही गिरते-गिरते बची, जिसने उसका क्रोध और बढ़ा दिया|

दरवाज़े के बाहर समाचार-पत्र रखा हुआ था, उसे उठा कर वो बुदबुदाया, "किसी को इसकी भी परवाह नहीं है..."

अंदर जाते ही वो अख़बार को सोफे पर पटक कर चिल्लाया, "अपने प्यारे बेटे को अभी बुलाओ...."

उसकी पत्नी और बेटा लगभग दौड़ कर अंदर के कमरे से आये, तब तक उसने जूता अपने हाथ में उठा लिया था|

"इधर आओ..!" उसने बेटे को बुलाया|

बेटा घबरा गया, उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया और कांपते हुए सोफे के पीछे की तरफ चला गया|

वो गुस्से में चिल्लाया, "क्या बातें सीख कर आया है? एक तो पढता नहीं है और उस पर नकल...." वो बेटे पर लपका, बेटे ने सोफे पर रखे समाचारपत्र से अपना मुंह ढक लिया|

अचानक क्रोध में तमतमाता चेहरा फक पड़ गया, आँखें फ़ैल से गयीं और उसके हाथ से जूता फिसल गया|

अख़बार में एक समाचार था - 'फेल होने पर भय से एक छात्र द्वारा आत्महत्या'

उसने एक झटके से अख़बार अपने बेटे के चेहरे से हटा कर उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया|

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 15, 2016 at 4:57pm

रचना को पसंद करने और मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए सादर आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर, आदरणीय डॉ विजय शंकर जी सर, आदरणीय अमित त्रिपाठी जी, आदरणीया राहिला जी |

Comment by Rahila on March 7, 2016 at 1:53pm
रचना बहुत ही सार्थक है ।आज के समय के हिसाब से बहुत ही सटीक ।बहुत बधाई आपको आदरणीय सर जी
Comment by Amit Tripathi Azaad on March 7, 2016 at 12:31pm

आदरणीय चंद्रेश जी आपकी कहानी को सत सत नमन , समाज की वो सोच जो अपने बच्चों को हमेशा अपने अहम् से लेकर जोड़ते हैं उनके लिए शानदार सीख है 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 7, 2016 at 11:51am
और प्यार से बोले , " कोई फ़िक्र की बात नहीं बेटे , और भी बहुत से क्षेत्र हैं जिंदगी में सफल होने के लिए , जिस काम में मन लगे हमारा बेटा वो करेगा। "
उन्हें संतोष था की उन्हें एक नया मार्ग मिल गया था , बेटे के चेहरे पर चमक थी , कुछ मन का करने की "
बहुत बहुत बधाई ,आदरणीय चंद्रेश जी , बहुत ही प्रेणनादायक लघु-कथा , सादर।
Comment by TEJ VEER SINGH on March 7, 2016 at 10:53am

हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश जी!सुंदर लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
yesterday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service