For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पवन व अशोक बहुत अच्छे दोस्त, मगर जब भी कभी पवन, अशोक से समाज की किसी समस्या के बारे में बात होती तो उस का बना बनाया एक ही जवाब होता ।

“कि मेरे साथ  राजनीती की बात न करो, सायद उस ने सोच रखा है कि जिन बातों का उस के घर, बच्चों व नौकरी से संबध नहीं, वो सभी बातें फजूल है ।“  

अशोक को घर में भी ऐसी बहस फजूल सी लगती ।

पवन को बात शुरू करते ही अशोक कह देता और कोई  बात करो , राजनीती नहीं , वरना वह शुरू होते ही विराम लगा देता,और कई बार  वहाँ से उठ कर चला जाता ।  

मगर पवन ने भी ठान ली कि ऐसे इमानदार लोगों को पता होना चाहिए,कि राजनीती कैसे कैसे गुल खिलाती और समाज राजनीती कि बगैर चल भी नहीं सकता, तो कैसी राजनीती हो।

 “कैसे हो सकता है कि मनुष्य समाज में रहे और उस की समस्याओं के बारे कोई बात ही न करे”, पवन ने खुद को सवाल किया  ।

मगर पवन ने अब  ठान ली कि अशोक जैसे आदमी को समाज की समस्याओ के बारे बताया जाए ।

आज जब पवन ने अशोक के साथ इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की, तो अशोक ने पहले जैसा ही विरोध जाहिर किया, मगर पवन ने उसे पकड़ कर अपने पास बिठा लिया और अपनी बात जारी रखते हुए कहा “बता अशोक, क्या तुम घर के फैसले नहीं लेते,जब फैसला लेते हो तो इस बात का ध्यान तो  रखते हो कि घर का कोई नुकशान न हो”

“हाँ, ये तो है”, मगर कुछ लोगों के फैसले के कारण अगर समाज में समस्यां पैदा हो रही हो तो इस के बारे में सोचना तो चाहिए ।

“हम को उनका विरोध करना चाहिए”, अशोक ने कहा

“तो ये विरोध कैसे कर सकते है”, पवन ने कहा

“वोट डाल के यां  ......., “अशोक ने कहा  

“तो ये क्या है” ?, यही तो राजनीती है, जिस से तुम दूर भागते हो और इसके बारे में बात करना भी पसन्द नहीं करते,पवन ने अशोक को राजनीती के सबंध में उदारहण से समझाते हुए कहा

“गलत ठीक का पता तभी चलेगा,जब विचार चर्चा होगी, अगर एक दुसरे से विचार चर्चा नहीं होगी, तो मुक समाज ऐसे ही  शिकार होता रहेगा ।“

हमें तभी पता चलेगा कि समस्या का हल कैसे हो, चार सिर जुड़ कर बैठेगे,तो ......  

“हाँ ये तो है , तो फिर राजनीती” ।

“हाँ तो यही तो राजनीती है,और क्या है ?”ये  कोई आकाश से उतरी हुई शै तो है नहीं इस धरती की उपज है”, पवन ने कहा

ये सुनते ही अशोक के मन में पता नहीं क्या विचार आया, उसने पवन से कहा, “अब पहल मेरी तरफ से होगी,चर्चा के लिए एजंडा मैं ही तैयार करूंगा”, तभी अशोक ने पेपर पर कुछ लिखना शुरू किया, और पवन उसकी तरफ देखने लगा । 

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 382

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मोहन बेगोवाल on December 14, 2015 at 7:12pm

 हमारे समाज में बहुत से ऐसे लोग होते खास कर  मध्य वर्ग के जो खुद व परिवार तक ही  सीमित रखते, ऐसे लोग समाज में तबदीली का कारक नहीं बनते, जिस कारन देर तीक समाज समस्याओं को झेलता रहता है  , आदरनीया आरती जी, आप जी के  इस लघुकथा को और प्रभावपूर्ण बनाने,अगर कोई  सूझाव हो तो प्रगट करने के  लिए धन्यवाद  

Comment by नयना(आरती)कानिटकर on December 14, 2015 at 6:06pm

इस कथा के माध्यम से आप क्या बताना चाहते है ये समझने मे मुझे कुछ असुविधा हो रही है.कृपया स्पष्ट करे.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
4 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service