For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जेल की दीवारे चीख चीख कर कह रही थी कि बीती रात रहमत अली ने हाल ही में सजा काटने आये कैदी को मार डाला। लेकिन उसके माथे पर एक भी शिकन नही थी, वो तो अपनी बैरक में खामोश बैठा सोच रहा था।

"अब मिला मुझे सकूं, उसको उसके किये की सजा दे कर मैंने अपनी बीबी को ही इंसाफ नही दिया बल्कि अदालत के झुठे फैसले को भी सच कर दिया है।"
"रहमत अली। अपनी खामोशी तोड़ो और बताओ कल रात क्या हुआ?" थानेदार ने सवाल पूछते हुये उसे लगभग झिंझोड़ दिया।
"अब छोड़िये भी साहब! रात गयी बात गयी।" रहमत अली एक गहरी सांस लेते हुये मुस्करा दिया।

"बीबी के कत्ल में तो फांसी हो ही रही है, अब आपका कानून मुझे दो बार तो फांसी दे नही सकता।"

.
'विरेन्दर वीर मेहता'

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 755

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 24, 2015 at 8:52pm

बहुत ही सुन्दर प्रभावी लघुकथा बधाई! आदरणीय वीरेंद्र वीर जी!

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 24, 2015 at 5:25pm
आदरणीय डाः गोपाल नारायण जी और आदः krishan mishra bhai ji आप गुणीजन लोगो के कथा पर समय देने के लिये तहे दिल से आभार। हो सकता हे अपनी बात रखने मे कही हिदी फिल्मो का प्रभाव आ गया और शायद जो मैं कहना चाह रहा था वो भली प्रकार न कह पाया होऊं। भविष्य में आप लोगो की अपेक्षाओ पर खरा उतर सकूं इसक प्रयास अवश्य करूगां। बरहाल अनुज की ओर से एक बार फिर आभार स्वीकार करे। सादर
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 24, 2015 at 3:03pm
आ.गोपाल सर की बात से सहमत हूँ..फिर भी कसी हुयी लघुकथा पर बधाई आ.बड़े भाई वीर मेहता जी।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 23, 2015 at 8:37pm

आपकी कथा अमिताभ बच्चन की एक मूवी  से अनुप्राणित लगती है

Comment by TEJ VEER SINGH on September 22, 2015 at 8:46pm

हार्दिक बधाई आदरणीय वीर मेहता  जी!बेहद सुन्दर और समयानुकूल लघुकथा!

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 22, 2015 at 5:20pm
आदः शहजाद भाई कथा पर समय देने और सकारत्मक प्रतिक्रिया देने के लिये सादर आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 22, 2015 at 5:16pm
आदरणीय औमप्रकाश जी रचना पर आपकी प्रोत्साहन देती प्रतिक्रिया के लिये दिल से आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 22, 2015 at 5:15pm
आदः मिथिलेश भाई जी कथा पर आपके आगमन पर दिल से आभार। लेकिन आप के द्वारा की जाने वाली समीक्षा के लिये अनुज प्रतीक्षा में। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 22, 2015 at 5:06pm

बढ़िया लघुकथा 

बधाई 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 1:08pm
झूठे आरोप, झूठे फैसले इन्सान को हैवान बनाने में देर नहीं करते।
बहुत सार्थक भाव पूर्ण रचना आदरणीय।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
yesterday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service