For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देशभक्ति (लघुकथा)

"अरे इस बॉल पे तो चार रन बन जाते पर सब तो पेप्सी के एड से ही कमाते है..। देश जाए भाड़ में." रेस्टोरेंट में टी वी देखते हुए स्वदेश ने ज्यूँ ही बिल देखा।"अरे ये १४० रूपये टैक्स के क्यों जोड़ दिए कच्चा बिल ही बना देते।"

"पर बाबू जी इसी टैक्स से तो देश चले है। चुप कर जानता है कौन हूँ मैं ?" "सेल्स टैक्स की रेड पड़वा दी तो भूल जाएगा ये देशभक्ति।"

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 1003

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sudhir Dwivedi on April 28, 2015 at 2:10pm

इस तरह के उपदेश देने की परम्परा रही है समाज में ... आभार जीतेन्द्र पस्तारिया जी 

सादर 

Comment by Sudhir Dwivedi on April 28, 2015 at 2:09pm

आभार डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 28, 2015 at 9:53am

बस! यही हो रहा है आजकल. एक-दुसरे को फर्ज दिखाने की नौटंकी. बधाई आदरणीय सुधीर जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 27, 2015 at 8:04pm

वाह जी  , बहुत खूब , बधाई हो.

Comment by Sudhir Dwivedi on April 27, 2015 at 4:01pm

आभार नेहा जी 

सादर 

Comment by Sudhir Dwivedi on April 27, 2015 at 4:00pm

आभार मिथिलेश जी 

सादर 

Comment by neha agarwal on April 27, 2015 at 2:24pm
बहुत खूब

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 27, 2015 at 1:20pm

रेट की टंकण त्रुटी सही हो गई रेड 

बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by Sudhir Dwivedi on April 25, 2015 at 9:45am
धन्यवाद Dr Vijai Shanker Ji
सुधार किये देता हूँ

सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 24, 2015 at 5:22pm
"सेल्स टैक्स की रेट पड़वा दी तो भूल जाएगा ये देशभक्ति।" में रेड शब्द आयेगा.
लघु-कथा अच्छी है। बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आराम  गया  दिल का  रिझाने के लिए आ हमदम चला आ दुख वो मिटाने के लिए आ  है ईश तू…"
3 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। तीसरे शेर पर…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शायर निकलता है।…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुति में हुई कोई…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122 1 मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए आ।वादे जो किए तू ने निभाने के लिए…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपने ठीक ध्यान दिलाया. ख़ुद के लिए ही है. यह त्रुटी इसलिए हुई कि मैंने पहले…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी, आपकी प्रस्तुति का आध्यात्मिक पहलू प्रशंसनीय है.  अलबत्ता, ’तू ख़ुद लिए…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलकराज जी की विस्तृत विवेचना के बाद कहने को कुछ नहीं रह जाता. सो, प्रस्तुति के लिए हार्दिक…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"  ख़्वाहिश ये नहीं मुझको रिझाने के लिए आ   बीमार को तो देख के जाने के लिए आ   परदेस…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत सुंदर यथार्थवादी सृजन हुआ है । हार्दिक बधाई सर"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service