For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- निलेश 'नूर' रुसवाइयों से रोज़ मुलाक़ात काटिये

गागा लगा लगा लल गागा लगा लगा 

रुसवाइयों से रोज़ मुलाक़ात काटिये
जबतक है जान जिस्म में, दिनरात काटिये.
.
है आप में अना तो अना मुझ में भी है कुछ 
यूँ बात बात पे न मेरी बात काटिये.  
.
ये कामयाबियों के सफ़र के पड़ाव हैं  
अय्यारियाँ भी सीखिए जज़्बात काटिये.
.
अगली फसल कटे तो करें इंतज़ाम कुछ
तब तक टपकती छत में ही बरसात काटिये.
.
ये इल्तिज़ा है आपसे इस मुल्क के लिए  
दिल से ये नफरतों के ख़यालात काटिये.  
.
रौशन ख़याल हो तो अँधेरों की फिक्र क्या  
ख़ुद को चराग़ कीजिए ज़ुल्मात काटिये   

.
नूर 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 660

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2015 at 3:27pm

शुक्रिया आदरणीय 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 3:21pm

रौशन ख़याल हो तो अँधेरों की फिक्र क्या  
ख़ुद को चराग़ कीजिए ज़ुल्मात काटिये
......... 

इस शेर के सापेक्ष इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 3, 2015 at 6:48pm

प्रवास में था अत: धन्यवाद ज्ञापित करने उपस्थित न हो सका 
धन्यवाद आ. गिरिराज जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 3, 2015 at 6:48pm

प्रवास में था अत: धन्यवाद ज्ञापित करने उपस्थित न हो सका 
धन्यवाद आ. उमेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 3, 2015 at 6:47pm

प्रवास में था अत: धन्यवाद ज्ञापित करने उपस्थित न हो सका 
धन्यवाद आ. सोमेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 2, 2015 at 1:28pm

है आप में अना तो अना मुझ में भी है कुछ 
यूँ बात बात पे न मेरी बात काटिये.  

अगली फसल कटे तो करें इंतज़ाम कुछ
तब तक टपकती छत में ही बरसात काटिये.
आदरणीय नीलेश भाई , बहुत बढिया गज़ल हुई है , पूरी गज़ल के लिये और ऊपर के अश आर के लिये दिली मुबारक बाद कुबूल करें ॥

.

Comment by umesh katara on April 2, 2015 at 12:40pm

है आप में अना तो अना मुझ में भी है कुछ  
यूँ बात बात पे न मेरी बात काटिये.   वाह वाह  वाह और वाह सर

Comment by somesh kumar on April 2, 2015 at 11:57am

सुंदर सार्थक और समृद्ध गज़ल ,बधाई इसे गुनगुनाने में अलग ही आनन्द की अनुभूति हो रही है |

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 2, 2015 at 11:57am

शुक्रिया आ. लक्ष्मण जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 2, 2015 at 11:57am

शुक्रिया आ. मोहन  जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service