For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समाचार - पत्र

प्रात:
नित्य क्रिया से निव्रुत्ति होकर

चींखती- सुप्रभात....!
आँंगन में फड़फड़ा कर गिरता
समाचार-पत्र
सुबुकता, कराहता,  आहें भरता
दुर्भिक्षों सा
कातर दृष्टि में अपेक्षा के स्वर
आशा, सहयोग, सद्भावना...
किन्तु, सर्वथा.....अर्थ हीन
उपेक्षा का भाव...
सुरसा सा आकार लेता.
घायलों का अधिक रक्त स्राव
प्राण तक छीन लेती
क्षण भर की देरी
मंजिल के पास ही -
चौराहों की लाल बत्ती विवश करती...!
सोंचो,
साथ क्या जाएगा ?
दुर्घटना से देर भली...
बूढ़ी आँंखों का मोतिया बिन्द
ऐनक को साफ करता
झुकी कमर कुछ और झुक कर सॅवारना चाहती,
भविष्य..!
सहारा पाकर समाचार-पत्र उठकर
करता, दैनिक जागरण
फैलता, अमर उजाला
अवाक है- नव भारत
हिन्दुस्तान विश्व दौड़ से बाहर
देश में दंगा, व्यभिचार,
...लूट- हत्या का उपचार
कन्या - धन, किसान का गम,
सरकारी ॠण - बेरोजगारी
घोटाले'- घूसखोरी
विधान सभा - संसद के हंगामों में अन्धा कानून...
तौलता स्वयं का अ-िस्थत्व....... भार हीन
सब दिखता है-
द्विपट संगणक [लैपटाप] में
बिलकुल साफ-साफ
मोतिया बिन्द आँंखों से भी।

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2015 at 9:36pm

आ0 गोपालसरजी, जान  भाईजी, कबीर भाई जी आप  सभी  के लिये हार्दिक आभार  प्रकट करता हूँ. सादर

Comment by Samar kabeer on April 18, 2015 at 11:07am
जनाब केवल प्रसाद जी,आदाब,सुंदर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें |
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 17, 2015 at 10:38pm

सुन्दर रचना पर बधाई आ० केवल जी!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 17, 2015 at 12:20pm

सहारा पाकर समाचार-पत्र उठकर
करता, दैनिक जागरण
फैलता, अमर उजाला
अवाक है- नव भारत
हिन्दुस्तान विश्व दौड़ से बाहर---=-क्या बात है केवल भाई . अति सुन्दर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
3 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
27 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
32 minutes ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
38 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
39 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service