For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मनहरण घनाक्षरी छन्द
***********************

पैरॊं की धूल सॆ तर,गई नार गौतम की,
पैर धो कॆवट पाया, जग मॆं सम्मान है !!
राज-पाट पाया भाई,भरत नॆं अयॊध्या का,
किन्तु प्रभु पादुका कॊ,दिया शीर्ष स्थान है !!
राम नाम की चासनी,चाटती शबरी रही,
जूठॆ बॆर खायॆ प्रभू, वॆदॊं मॆं बखान है !!
रामनाम कॆ मंत्र सॆ,ख़ाक हुई लंकापुरी,
राम नाम मंत्र हर, मंत्र से महान है !!(१)

राम राम राम राम, रॊम रॊम राम राम,
राम नाम ही जिसकी,साँस और जान है !!
राम कॆ शिवा सूझता,न कुछ और उसकॊ,
राम जी का वॊ दुलारा, भक्त हनुमान है !!
राम कॆ नाम सॆ तैर,गयॆ पाहन पानी मॆं,
राम कॆ कार्य मॆं तजा,जटायू नॆं प्रान है !!
राम बिन प्राण नृप, दशरथ कॆ न रुकॆ,
राम नाम मंत्र हर, मंत्र से महान है !!(२)

राज बुन्दॆली:

मौलिक व अप्रकाशित,,,,,

नॊट : मेरे लिये घनाक्षरी छन्द सबसे कठिन है त्रुटियाँ जरूर बताइये !

Views: 843

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on April 5, 2015 at 8:47pm

आदरणीय राज बुन्देली, बहुत सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 4, 2015 at 5:41pm

आ० बुन्देली जी

आप अपनी टिप्पणियों पर खामोश रहते है . यह स्वस्थ परंपरा नहीं है.आदरणीय बागी  जी ने इस विषय पर एक लेख लिखकर सबको सचेत भी किया है . आपसे अनुरोध है आप भी इस परंपरा का पालन करे . सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 12:17pm

आदरणीय राज भाई , सुन्दर छंद रचना के लिये बधाई आपको !

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 3, 2015 at 8:46pm

आदरणीय राज बुन्देली सर! आपकी रचनाए पढ़कर मुझे ऐसा स्पष्ट लगता है कि आप! जैसे कविता पाठ करते हुए ही लिखते है!

आपको सुनने की बड़ी लालसा मन में जग गयी है!सुन्दर रचना पर बधाईयां!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 3, 2015 at 12:24pm

आ०बुन्देली जी

आप पहले घनाक्षरी को गा गा कर उसकी रिदम पहचानिये  और गा-गाकर ही लिखिए . अभ्यास ही सिखाता हैमित्र  8,88, 7  की यति पर लिखिए  और यति में अन्त्यानुप्रास हो तो बहुत अच्छा बनेगा जैसे- 

आज यदि होती वह , मेरे पाप धोती वह

ज्ञान बीज बोती वह  मात: पयस्विनी I

 

सादर .

,

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 3, 2015 at 12:13pm

भावपूर्ण  रचना  हुई  है | हार्दिक  बधाई  लय ले बारे में आदरणीया सौरभ जी ने  राय  दे दी है | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2015 at 11:38am

दोनों घनाक्षरियों में शब्दकलों और घनाक्षरी के अनुरूप शब्द की मात्रिकता का ध्यान न रखे जाने से लगभग हर पद (पंक्ति) में लयभंग की स्थिति बन रही है, आदरणीय राज बुन्देलीजी.

दूसरी घनाक्षरी का प्रारम्भ जिस ढंग से हुआ है उसी को तनिक परिवर्तन से सूत्र बनाया जा सकता था - राम राम राम राम, रॊम रॊम राम राम, राम नाम जिसकी ही, साँस और जान है !!

ही जिसकी   तथा जिसकी ही का अंतर बहुत ही महीन है लेकिन गेयता में देखिये कितना भारी अंतर पड़ रहा है. 

इसका कारण क्या है ? कारण यह है कि जिसकी ही में की को लघुवत उच्चारित किया जा सकता है जो कि ही जिसकी  में जिस  के साथ ऐसा उच्चारण संभव नहीं है.

बस इसी अनुरूप अन्य पदों (पंक्तियों) में शब्द नियत करते चलें.

घनाक्षरी शब्दों की गणना के अनुसार यों तो वर्णिक छन्द है परन्तु पदों में शब्दों के वर्णक्रम निर्धारित नहीं होते.यानी, शब्दों में यदि मात्रिकता का निर्वहन नहीं किया गया तो छन्द में गेयता को साध पाना संभव नहीं हो पायेगा.  इसी कारण इन छन्दों को मुक्तक कहते हैं.
शुभेच्छाएँ

Comment by Shyam Narain Verma on April 3, 2015 at 11:01am
उम्दा छंद रचना के लिए बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service