For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नौ महीने तक सींच रक्त से, जिसको कोख में पाला,
आज उसी बेटे ने माँ को, अपने घर से निकाला।

जर्जर होती देह लिए, माँ ने बेटे को निहारा,
मानो उसके जीने का अब, छूट रहा हो सहारा॥

भूल गया गीली रातें, जब रोता था चिल्लाता था, 
हाथ पैर निष्क्रिय थे तेरे, पड़े-पड़े झल्लाता था।
तब त्याग नींद! तेरी जगह लेट, सूखे में तुझे सुलाती थी,
अपने सीने से लिपटा, बाँहों में तुझे झुलाती थी॥

भूल गया वो सूखे दिन, जब गर्मी से घबराता था,
सन्नाटे की चादर ओढ़े, रात से जब डर जाता था।
तब आँचल से पंखा कर, खुद गर्मी में वो मरती थी,
और ईश्वर की कथा सुना, डर तेरे दूर वो करती थी॥

भूल गया जब भूख से व्याकुल, होकर शोर मचाता था,
खुद बारिश में भीगा करता, सेवा में माँ को नचाता था।
तब खुद भूखी रहकर, पूरी रोटी तुझे खिलाती थी,
दिन भर करती काम, रात में लोरी तुझे सुनाती थी॥

भूल गया जब खेल-खेल में, चोटिल तू हो जाता था,

और जब रोग से पीड़ित हो, फिर भावशून्य हो जाता था।
घबराकर तब तुझे चूम, वो मरहम तुझे लगाती थी,
दवा पिला तेरा सिर सहला, आँखों में रात बिताती थी॥

तेरा जीवन भी क्या जीवन? ये सब उसका दान है,
अपनी माँ का ह्रदय दुखाना, ईश्वर का अपमान है।
क्षम्य नहीं हो सकता पापी, तूने जो अपराध किया,
अपनी माँ को तज तूने, अपने जीवन का नाश किया॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 14, 2014 at 12:48pm

आदरणीय मीना जी, रचना पर आपकी सराहना के लिए सादर आभार |

Comment by Meena Pathak on October 13, 2014 at 3:08pm

बहुत बहुत बधाई सुन्दर रचना हेतु 

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 13, 2014 at 1:29am

भाई जीतेन्द्र 'गीत' जी, रचना पर अपनी विहंगम दृष्टि डालने एवं उल्लेखित त्रुटि बताने के लिए ह्रदय से आभार । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 13, 2014 at 12:02am

बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना लिखी आपने आदरणीय सन्देश जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

(आपकी शेष रचनाओं के कमेन्ट बॉक्स क्लोज है, शायद आपने सेटिंग में त्रुटिवश क्लोज कर दिए है. )

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 12, 2014 at 8:13pm

आदरणीय सोमेश कुमार जी,
बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 12, 2014 at 8:07pm

आदरणीय सुशील सरना जी, प्रोत्साहन एवं सराहना के लिए हार्दिक आभार | 

Comment by somesh kumar on October 12, 2014 at 6:24pm

माँ शब्द एक अंतत गाथा |

बधाई मित्र 

Comment by Sushil Sarna on October 12, 2014 at 4:04pm

आदरणीय संदेश नायक स्वर्ण जी माँ बेटे के सम्बन्ध की इस मार्मिक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी आदरणीय, आपकी बात सही है !"
30 minutes ago
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"२१२२-१२१२-२२/११२ज़ीस्त ख़ामोशी थी सदा भी थीदर्द भी थी वही दवा भी थी (१) और कितना मैं झेलता उसकोबेहया…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल अभी समय चाहती है। मिसरों में परिपक्वता और रब्त की आवश्यकता…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत ख़ूब आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है, पूरी ग़ज़ल रवानी में है, शे'र दर…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। //इक सिलाई मशीन उस के…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिल…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी और निलेश…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज अहसास जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, ग़ज़ल अभी…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
6 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मतला अब भी प्रभावित नहीं कर रहा। बला के इलावा किसी और एंगल से सोचें।"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service