For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" अरे..! आओ बेटा रजनी, और सुनाओ कैसी  हो..? . बड़े दिनों बाद आना हुआ..  अरे हाँ तुमने अपने बेटे , बिट्टू को नही लाई. वो वहां तुम्हारे बिन रोयेगा तो.." राधेश्याम जी ने अखबार के पन्नो की घड़ी करते हुए कहा

" प्रणाम चाचाजी....सब कुछ कुशल है..    बिट्टू  तो बहुत परेशान करने लगा था , दिन भर मम्मी मम्मी ..!! .  मैंने उसे टेलीविजन का ऐसा शौक लगाया है की, उसे मेरी बिलकुल भी जरुरत नहीं. शाम तक आराम से जाउंगी.."   रजनी ने बड़ी चैन की सांस लेते हुए कहा

      

    

      जितेन्द्र 'गीत'

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 712

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 22, 2014 at 1:10am

आपकी शुभकामनायें  शिरोधार्य है आदरणीय सौरभ जी, अपना स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 12:21am

बढ़िया विन्दु पकड़ा आपने, भाई जी .. लघुकथा के लिए शुभकामनाएँ 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 20, 2014 at 9:26pm

रचना पर आपकी सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ, आदरणीया मीना दीदी. स्नेह बनाये रखियेगा 

सादर!

Comment by Meena Pathak on July 20, 2014 at 6:08pm

सुन्दर ..सार्थक सन्देश देती लघुकथा हेतु बधाई प्रिय जितेन्द्र जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 20, 2014 at 10:30am

रचना पर आपकी उपस्थिति व् प्रतिक्रिया हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ , आदरणीय संतलाल जी

सादर!

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 8:23am

आदरणीय जितेन्द्र गीत जी,

 व्यंग्यपरक, किन्तु वर्तमान जीवनगत विसंगति के प्रति सन्देश देती अच्छी लघु कथा,  साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2014 at 11:53pm

आपका ह्रदय से आभार , आदरणीया कल्पना दीदी

सादर!

Comment by kalpna mishra bajpai on July 18, 2014 at 10:20pm

बिलकुल सही कहा आप ने । बहुत बधाई /सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2014 at 1:02pm

आपका कहना बिलकुल सही है आदरणीय शुभ्रांशु जी. एक छोटी सी आदत है जो लग गई सो लग गई,   खैर..  वो तो मासूम बच्चे है हम अपने आप को ही देख लें, हम भी कहीं किन्ही आदतो में इतने व्यस्त हो जाते है कि कभी कोई आवाज भी दे तो सुनाई नहीं पड़ती और बहुत सी बातें भूल भी जाते हैं :-))))

रचनाओं पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर बहुत ख़ुशी व् मनोबल मिलता  है , अपना स्नेह बनाये रखियेगा
सादर !

Comment by Shubhranshu Pandey on July 18, 2014 at 10:28am

आदरणीय जितेंद्र जी, 

आदत बहुत छोटी सी है लेकिन अब लगा दी गयी तो लग गयी...

ये घर घर की समस्या है...कभी ये आदत घर का काम समेटने के लिये लगायी जाती है. कभी...बस एक दो सीरियल ही तो देखते हैं, कह कर लगाई जाती है....कभी न्युज और कभी मैच के नाम पर लेकिन ये बुद्धु बक्से कि आदत लगाते हम ही हैं..

सुन्दर कथा....बधाई..

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
17 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
44 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
45 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
47 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service