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मेरे अजीज दोस्त, अमर मै अकबर है तू ।
मै तो तेरे साथ, साथ तो हरपल है तू ।।
रहना हमे सचेत, लोग कुछ हमें न भाये ।
हिन्दू मुस्लिम राग, छेड़ हम को भरमाये ।।

मेरे घर के खीर, सिवइयां तेरे घर के ।
खाते हैं हम साथ, बैठकर तो जी भर के ।।
इस भोजन का स्वाद, लोग वो जान न पाये ।
बैर बीज जो रोप, पेड़ दुश्मनी का लगाये ।। रहना हमे सचेत ....

यह तो भारत देश, लगे उपवन फूलों का ।
माली न बने चोर, कष्ट दे जो शूलों का ।।
रखना हमको ध्यान, बांट वो हमें न पावे ।
वो तो अपने स्वार्थ, आज तो आग लगावे ।। रहना हमे सचेत ....

तू जो करे अजान, करूं मै ईश्वर पूजा ।
ईश्वर अल्ला नाम, नही हो सकते दूजा ।।
करते हम सम्मान, एक दूजे को भाये ।
हमें मिले जो शांति, और जन जान न पाये ।। रहना हमे सचेत ....


हाड़ मांस का देह, रक्त में भी है लाली ।
हिन्दू मुस्लिम पूर्व, रहे हम मानव खुशहाली ।।
दिये हमारे बाप, सीख जो उसे निभायें ।
अब कौमी के गीत, साथ मिलकर हम गायें । रहना हमे सचेत....
....................................
मौलिक अप्रकाशित

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Comment

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 8, 2014 at 7:49am

बहुत सुंदर  भाव,  सार्थक सन्देश के साथ. हार्दिक बधाई आपको आदरणीय रमेश ज़ी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2014 at 9:53pm

सामायिक सन्देश देती उपयुक्त रचना 

रहना हमे सचेत, लोग कुछ हमें न भाये ।
हिन्दू मुस्लिम राग, छेड़ हम को भरमाये ।।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 5, 2014 at 9:26am

हाड़ मांस का देह, रक्त में भी है लाली ।
हिन्दू मुस्लिम पूर्व, रहे हम मानव खुशहाली ।।
दिये हमारे बाप, सीख जो उसे निभायें ।
अब कौमी के गीत, साथ मिलकर हम गायें ।-  बहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश देती रचना के लिए बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 4, 2014 at 9:14pm

कौमी एकता पर सुन्दर रोले, बधाई.........

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 4, 2014 at 11:27am

//तू जो करे अजान, करूं मै ईश्वर पूजा ।
ईश्वर अल्ला नाम, नही हो सकते दूजा ।।
करते हम सम्मान, एक दूजे को भाये ।
हमें मिले जो शांति, और जन जान न पाये ।।//-------सुन्दर प्रस्तुति । हार्दिक बधाई। सादर,

Comment by coontee mukerji on May 4, 2014 at 12:12am

इस सुंदर रचना के लिये आपको बहुत बहुत बधाई रमेश कुमार जी.

कृपया ध्यान दे...

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