For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - सबके सत्कर्म ही फलते तो अच्छा था - पूनम शुक्ला

2122 1222 2222

आप बस रोज यूँ मिलते तो अच्छा था
दर्द दिल के सभी टलते तो अच्छा था

काट डालीं कतारें तुमने पेड़ों की
पेड़ ठंढ़ी हवा झलते तो अच्छा था

झाँकते क्यों हैं पत्तों से अब अंगारे
शाख पर फूल ही खिलते तो अच्छा था

आग में क्यों यूँ जल जाते हैं परवाने
उनके मद लोभ ही जलते तो अच्छा था

अब तो तौकीर भी दौलत से मिलती है
सबके सत्कर्म ही फलते तो अच्छा था

हाँ सज़ावार को मिलती है अय्याशी
वो तो बस हाथ ही मलते तो अच्छा था

पूनम शुक्ला
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 7, 2014 at 9:44pm

आदरणीया पूनम शुक्ला जी 

ग़ज़ल पर सुन्दर प्रयास हुआ है... पर काफिया निर्धारण ही दोष पूर्ण हो गया है 

मतले में मिलते के साथ टलते लेने पर सिनाद दोष उत्पन्न होगा ....

ग़ज़ल पर काफी उपयोगी पोस्ट्स और चर्चाएँ मंच पर उपलब्ध हैं , आप उन्हें अवश ही पढ़ें 

इस प्रयास पर हार्दिक शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 26, 2014 at 6:40pm

आदरणीया पूनम जी , ग़ज़ल बहुत खूब सूरत हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥ आदरणीया बह्र के विषय मे थोड़ी शंका है  , मान्य बह्र मे से है या नही ॥  गुणी जनो का इंतिज़ार किया जाना चाहिये ॥

Comment by विजय मिश्र on March 26, 2014 at 4:40pm
"काट डालीं कतारें तुमने पेड़ों की
पेड़ ठंढ़ी हवा झलते तो अच्छा था| - कुदरत की नुमायन्दगी करता है और पूरी गजल .... बस वाह -वाह |साधुवाद पूनमजी
Comment by Poonam Shukla on March 26, 2014 at 9:31am
कृपया काफ़िया के बारे में बताएँ - मिलते के साथ जलते ,टलते का उपयोग सही है या नहीं या ये दोषपूर्ण है ।
Comment by annapurna bajpai on March 25, 2014 at 10:59pm

शानदार गजल , बहुत बधाई आ0 पूनम जी । 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2014 at 5:47pm

आदरणीया पूनम जी बहुत ही शानदार ग़ज़ल लिखी है आपने ..सादर बधाई के साथ 

Comment by Abhinav Arun on March 25, 2014 at 2:27pm

वाह , बहुत खूब ग़ज़ल  हुई है आदरणीया !!

Comment by Sarita Bhatia on March 25, 2014 at 10:17am

पूनम जी बहुत खूबसूरत गजल 

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on March 25, 2014 at 8:51am

अच्छी तरह निभाया है आपने..पर ये मौलिक बे'हर नहीं प्रतीत होती. मुबारकबाद


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 24, 2014 at 9:58pm

वाह वाह, अच्छी ग़ज़ल हुई है,

आग में क्यों यूँ जल जाते हैं परवाने
उनके मद लोभ ही जलते तो अच्छा था

यह शेर अधिक पसंद आया, दाद कुबूल करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service