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( 1 ) 

दो पुष्प खिले 

हर्षित हृदय 

लीं बलैयां 

( 2 )

धीरे धीरे 

बढ़ चले राह 

पकड़ी बचपन डगर 

( 3 )

मार्ग दुर्गम 

वे थामे अंगुली 

आशित जीवन 

( 4 )

हुये बड़े 

बीता बचपन 

डाले गलबहियाँ 

( 5 )

संस्कार भरे 

करते मान सम्मान 

न कभी अपमान 

( 6 )

जीवन बदला 

खुशियाँ आईं 

सुखद क्षण 

( 7 ) 

समय बदला 

कुछ बिखरा 

टूटने लगा 

( 8 ) 

बढ़ी दरार 

नहीं मान सम्मान 

हुये मन भेद  

( 9 ) 

खींची तलवारें 

रिश्ते कट गए 

सब समाप्त 

( 10 ) 

गिरी दीवारें 

ढह गया सब 

किन्तु समर शेष !! 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

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Comment

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Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2014 at 1:22pm

आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी 

ये प्रस्तुति आपने किस विधा में दी है , यदि आप स्पष्ट करें तो मैं कुछ कहूं ...?

सादर.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 23, 2014 at 8:37am

अति सुंदर प्रस्तुति , बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा दीदी

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 4:46pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया अन्नपूर्णा जी  ,हार्दिक बधाई आपको  //सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 22, 2014 at 11:14am

सुन्दर प्रयास के लिए बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2014 at 10:02am
आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई.....

कृपया ध्यान दे...

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