For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1-मरणोपरांत

भूख से मरा था
शायद! इसीलिए
मरणोपरांत अखबार में
फ़ोटो छपी है

२-लाभ

आपके हीरे कि अँगूठी से अच्छा तो मेरा
मिट्टी का दीपक है
कम से कम
रात में प्रकाश तो फैलाता है

३-सौदा

आज उसके बच्चे भूखे नहीं सोये
वो कह रहा था
कुछ फर्क नहीं पड़ता
थोड़ा रक्त बेचने पर

४-तृप्ति

भूख शांत हो गयी
जली रोटी थी तो क्या? हुआ
*********************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on December 20, 2013 at 1:44am

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी............  सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 11:54pm

पहली क्षणिका की गहन भावदशा प्रभावित करती है. बाकी के तथ्यों में वहीवहीपन अधिक प्रभावी है.

शुभेच्छाएँ

Comment by ram shiromani pathak on December 13, 2013 at 10:40pm

उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई संदीप जी    …………   सादर  

Comment by ram shiromani pathak on December 13, 2013 at 10:39pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया मीना जी    …………   सादर  

Comment by ram shiromani pathak on December 13, 2013 at 10:38pm

बहुत बहुत आभार राहुल भाई। …………   सादर  

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 13, 2013 at 8:35pm

बहुत सुन्दर राम भाई ............ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब ......बधाई हो बधाई हो बधाई हो

Comment by Meena Pathak on December 13, 2013 at 6:36pm

बहुत ही भावपूर्ण क्षनिकाएं, बधाई आप को 

Comment by ram shiromani pathak on December 13, 2013 at 9:28am

बहुत बहुत आभार भाई जीतेन्द्र जी  ....   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on December 13, 2013 at 9:27am

बहुत बहुत आभार आदरणीया वन्दना जी  ....   सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 13, 2013 at 8:55am

तृप्ति भूख शांत हो गयी
जली रोटी थी तो क्या? हुआ..........आत्मसंतुष्टि

बहुत सुंदर रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय राम भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service