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झूठ जीता सत्य हारा

झूठ जीता सत्य हारा

राजनीति की अग्नि में

जले देश सारा

 

रिश्ते नाते स्वार्थ-सिद्धि की धुरी में  

समय मजदूरों का गुजरे नौकरी में

श्रम किया जी तोड़

किन्तु फल है खारा

 

मन लगा के पर हुआ जाता गगन सा

लक्ष्य के आगे हैं किन्तु तम गहन सा

सिन्धु की गहराई

जाने बस किनारा

 

घात की यह वेदना क्यूँ माँ सहे अब

ज्ञान की नदिया भी क्यूँ उल्टी बहे अब

मिट गयी अब नेह की

वो मूल धारा  

 

संदीप कुमार पटेल

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 1, 2013 at 8:31pm

आदरणीय विजय मिश्र जी, आदरणीया अल्क़ा जी, आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीय सौरभ सर जी आप सभी का सराहना हेतु बहुत बहुत आभार

आदरणीय अग्रज सौरभ सर जी .............आपके रचना को छूते ही वो अनमोल हो जाती है

ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2013 at 6:38pm

नवगीत पर कोशिश भली लगी है. प्रयासरत रहना विन्दुवत करेगा और विन्दुवत रखेगा भी.

शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 26, 2013 at 11:10am

सुन्दर प्रस्तुति आ० संदीप जी 

Comment by Alka Gupta on November 22, 2013 at 11:02pm

वाह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर ...कटु यथार्थ 

Comment by विजय मिश्र on November 22, 2013 at 5:07pm
संदीपजी ! कथ्य पूर्णतः आजका नग्न सत्य है और कविता आवेश में अपना रोष व्यक्त करती है और कहीं मध्यम पश्चाताप भी करती है . बहुत सुंदर .

कृपया ध्यान दे...

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"जय हो.. "
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"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
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"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
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"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
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"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
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"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
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"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
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"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
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"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
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"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
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