For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद जो आया
रात के आँगन में
तारे चमके
चांदनी की गोद में
ठंडी सी हवा
मन को लहराए
ख्वाबो  के साये
नींदों को हैं जगाये
सोच रही हूँ
ख़ामोशी इतनी क्यों
मीठी सी लागे
जो  गीत धरा गाये
रात गुदगुदाए .........सविता अगरवाल 

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savita agarwal on October 17, 2013 at 4:56pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आभार आपका...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 12:37am

चोका विधान पर बेहतर चर्चा.. .

हार्दिक धन्यवाद, भाई अरुन अनन्त जी

आदरणीय सविताजी, रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद.

Comment by savita agarwal on October 10, 2013 at 4:50pm
अरुण शर्मा जी आभार आपका मार्गदर्शन करने हेतु.........रचना में मूलतया गलती उसकी पंक्तियों की संख्या में हैं जो मुझे ज्ञात नही थी .....यानी 25-27-29-31……का होना ....शायद अगला प्रयास सफल रहे ...
Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 4:22pm

आदरणीया मुझे इसका नियम कुछ इस प्रकार से ज्ञात है. कृपया आप भी देख लें.

चोका [ लम्बी कविता] पहली से तेरहवीं शताब्दी में जापानी काव्य विधा में  महाकाव्य की  कथाकथन शैली रही है । मूलत; चोका गाए जाते रहे हैं ।चोका का वाचन उच्च स्वर में किया जाता रहा है ।यह प्राय: वर्णनात्मक रहा है । इसको एक ही कवि रचता है।इसका नियम इस प्रकार  है -
5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7 और अन्त में +[एक ताँका जोड़ दीजिए।] या यों समझ लीजिए कि  समापन करते समय  इस क्रम के अन्त में  7 वर्ण की एक और पंक्ति जोड़ दीजिए । इस  अन्त में जोड़े जाने वाले ताँका से पहले कविता की लम्बाई की सीमा नहीं है । इस कविता में मन के पूरे भाव आ सकते हैं ।
इनका कुल पंक्तियों का योग सदा विषम संख्या [ ODD] यानी 25-27-29-31……इत्यादि   ही होगा  ।

रामेश्वर  काम्बोज  'हिमांशु ' ; डॉ . हरदीप  कौर  सन्धु

Comment by savita agarwal on October 10, 2013 at 4:15pm
आभार आपका गिरिराज जी .........अन्नपूर्णा जी आभार .......ग्रुप के सभी सदस्यों को मेरा नमन
Comment by annapurna bajpai on October 10, 2013 at 1:44pm

सविता जी चोका विधा की  रचना के साथ ओ बी ओ परिवार मे पदार्पण के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 9, 2013 at 5:36pm

आदरणीया सविता जी ,  सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये बधाई !!!!! चोका विधा से परिचय कराने के लिये आपका शुक्रिया !!!

Comment by savita agarwal on October 9, 2013 at 2:54pm
*चोका जापानी काव्य शैली की लम्बी कविता है जिस में 5 +7 5 +7 +5
का क्रम होता है और अंत में ताँका [ 5 +7 +5 +7 +7 ] जोड़ दिया जाता है ।
--------------अरुनशर्मा जी .......मुझे ये ही ज्ञात हैं ...गलती कहा हैं मार्गदर्शन करे....
Comment by अरुन 'अनन्त' on October 9, 2013 at 12:00pm

आदरणीया सविता जी ओ बी ओ परिवार में आपका स्वागत है, आपकी रचना का भाव बहुत सुन्दर लगा मुझे, चोका का नियम जो मुझे ज्ञात है शायद ऐसा होता है आपकी रचना इस नियम पर नहीं कृपया अवगत करायें. हो सकता मैं नियम से अनभिज्ञ हूँ. खैर इस प्रसतुति पर बधाई स्वीकारें.

5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
49 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
23 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service