For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जवाँ दिल है,धड़कने दो

**जवाँ दिल है,धड़कने दो |**

जवाँ दिल है, धडकनें भी,

ये धड़केंगी,

धड़कने दो |
नसों में लावा बहता है,

लहू बन के,

फड़कने दो ||


वतन के काम आएगा,

हर एक कतरा,

एक-एक बूँद ,
बंधी बेड़ी-जंज़ीरों को,

हौंसलों से,

तड़कने दो ||


उठो जागो कमर बाँधो,

विजय पथ पे,

अग्रसर हो | 
खटकते हो गर दुश्मन की,

आँखों में,

खटकने दो || 


नफ़रत की आँधियों में,

गोलियों की,

हैं बौछारें |
शहादत की बिजलियों को,

आज खुल के,

कड़कने दो ||


सलामी सौ सौ तोपों की,

याद में,

वीर शहीदों की
हिन्द के नौजवानों की,

बुलंद होकर,

गरजने दो ||

जवाँ दिल है धडकनें भी,

ये धड़केंगी,

धड़कने दो |
नसों में लावा बहता है,

लहू बन के,

फड़कने दो ||

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 502

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Jitender Kumar Jeet on October 1, 2013 at 7:09pm
आदरणीया डाॅ.प्राची जी , आभार आपका । सादर धन्यवाद ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 1, 2013 at 3:27pm

जोश भरी प्रस्तुति ...

शुभकामनाएं 

Comment by Jitender Kumar Jeet on October 1, 2013 at 12:40pm

अरुन जी, जितेन्द्र भाई, मीना जी, महिमा जी, डी.पी. माथुर जी एवं अनुराग जी आप सभी का सराहना हेतु  आभार | शुक्रगुज़ार हूँ सभी वरिष्ठ लेखक -पाठक बन्धुओं का | सबको सादर प्रणाम | ऐसे ही मार्गदर्शन और हौसलाअफजाई करते रहें , बल मिलता है | धन्यवाद !!! 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 1, 2013 at 12:12pm

आदरणीया जीतेंद्र भाई बेहद ओजपूर्ण प्रस्तुति निम्न पंक्तियाँ बहुत ही लाजवाब हैं और अत्यधिक पसंद आईं. बधाई स्वीकारें. वाह

नफ़रत की आँधियों में,

गोलियों की,

हैं बौछारें |
शहादत की बिजलियों को,

आज खुल के,

कड़कने दो ||


सलामी सौ सौ तोपों की,

याद में,

वीर शहीदों की
हिन्द के नौजवानों की,

बुलंद होकर,

गरजने दो ||

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 1, 2013 at 9:41am

बहुत सुंदर रचना, हार्दिक बधाई जीतेन्द्र जी

Comment by Meena Pathak on October 1, 2013 at 7:42am

सलामी सौ सौ तोपों की,

याद में,

वीर शहीदों की
हिन्द के नौजवानों की,

बुलंद होकर,

गरजने दो ||..............सुन्दर रचना हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकारें 

Comment by MAHIMA SHREE on September 30, 2013 at 9:54pm

उठो जागो कमर बाँधो,

विजय पथ पे,

अग्रसर हो | 
खटकते हो गर दुश्मन की,

आँखों में,

खटकने दो || .....आज देश की  ऐसे ही जज्बे की जरुरत है .....बहुत -२ बधाई

Comment by D P Mathur on September 30, 2013 at 8:37pm

सुन्दर रचना के लिए बधाई ।

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 30, 2013 at 6:31pm

बहुत ही सुन्दर ! जबरदस्त जज्बा है ! इस सुन्दर रचना पर आपको ढेरो बधाईयाँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service