For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : दिल हो गया है जब से टूटा हुआ खिलौना

बह्र : २२१ २१२२ २२१ २१२२

 

दिल हो गया है जब से टूटा हुआ खिलौना

दुनिया लगे है तब से टूटा हुआ खिलौना

 

खेले न कोई इससे, फेंके न कोई इसको

यूँ ही पड़ा है कब से टूटा हुआ खिलौना

 

बेटा बड़ा हुआ तो यूँ चूमता हूँ उसको

अक्सर लगाऊँ लब से टूटा हुआ खिलौना

 

बच्चा गरीब का है रक्खेगा ये सँजोकर

देना जरा अदब से टूटा हुआ खिलौना

 

‘सज्जन’ कहे यकीनन होंगे अनाथ बच्चे

जो माँगते हैं रब से टूटा हुआ खिलौना

-------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 22, 2013 at 11:50pm

बहुत बहुत धन्यवाद Dr.Prachi Singh जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 25, 2013 at 10:31am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आ० धर्मेन्द्र जी 

बच्चा गरीब का है रक्खेगा ये सँजोकर

देना जरा अदब से टूटा हुआ खिलौना

इस कहन  पर विशेष बधाई स्वीकार कीजिये 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2013 at 7:38pm

बहुत बहुत धन्यवाद वीनस  जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2013 at 7:37pm

बहुत बहुत शुक्रिया vineet agarwal जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2013 at 7:37pm

बहुत बहुत धन्यवाद Dr Ashutosh Mishra जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 23, 2013 at 7:37pm

बहुत बहुत शुक्रिया Baidya Nath 'सारथी' जी

Comment by वीनस केसरी on September 21, 2013 at 10:45pm

वाह जी वा तुस्सी ग्रेट हो

Comment by vineet agarwal on September 20, 2013 at 10:46pm
Kya baat hai sahab ..badhayi
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 20, 2013 at 9:31pm

बहुत बहुत धन्यवाद अरुन शर्मा 'अनन्त' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 20, 2013 at 9:31pm

बहुत बहुत धन्यवाद  MAHIMA  जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service