For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था

जब तक था लड़ता रहा

कभी गर्म लू के थपेड़ों को

बरसात, खून जमाने वाली

ठंड को सहता रहा

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था

 

उसकी शाखों को काट- काट कर

लोगों ने घरों के दरवाज़े बनाये

खिड़कियाँ बनाई खुद को छुपाने के लिये

जुल्म की आग में वो जलता रहा

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था

 

उम्र कोई उसकी कम न कर सका

जब तक जीना था वो जिया

जब तक हरा भरा जवान था

हवा व छांव दुनिया को दिया

युग- युग की कहानी कहता रहा

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था

 

-मौलिक और अप्रकाशित

 

 

Views: 752

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2013 at 9:54pm

भाई चन्द्रशेखर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 26, 2013 at 8:55am

मनुष्य की स्वार्थपरता, कम होते प्रकृति प्रेम व पर्यावरणीय नैतिकता के अभाव को बिम्बित करती सुन्दर रचना। 

उसकी शाखों को काट- काट कर

लोगों ने घरों के दरवाज़े बनाये

खिड़कियाँ बनाई खुद को छुपाने के लिये

जुल्म की आग में वो जलता रहा

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था // वाह्ह्ह बधाई आदरणीय।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 11, 2013 at 4:47pm

आदरणीया डॉ प्राची रचना के अनुमोदन के लिये आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 11, 2013 at 4:45pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका आभार,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 4:27pm

सूखे दरख़्त की स्मृतियों को प्रस्तुत करती सुन्दर अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई 

Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 9:51pm
आदरणीय शिजू जी आपकी रचना संदेश परक है बधाई आपको । कुछ दिन पहले मैंने एक रचना प्रस्तुत की थी - "वह बरगद " आपकी यह रचना कुछ कुछ वैसी ही लगती है ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:09pm

आदरणीया विजयश्री जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:08pm

भाई जितेन्द्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:07pm

आदरणीया वंदना जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:06pm

आदरणीय गिरिराज सर आपका शुक्रिया,

ये अतुकांत नही है, ये तब की कविता है जब मै दिल के भावों को कागज़ पे अल्फाज़ की शक्ल में उकेरा करता था अब तो थोड़ी बहुत शिल्प की जानकारी भी है,
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service