For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फूल जैसा ये है जीवन

मुंह अँधेरे सुबह में तुम मुस्कुरा रहे थे,

धूप जैसे ही खिली तुम खिलखिला रहे थे.

दोपहर के ज्वाल में तुम बल खा रहे थे.

शाम को फिर क्या हुआ जो मुंह छिपा रहे थे.

फूल जैसा ये है जीवन बाल यौवन अरु जरा.

फूल की खुशबू कभी तो कील से यह पथ भरा.

पाल मत प्यारे अहम तू एक दिन तू जायेगा.

सारी दौलत संगी साथी काम न कोई आयेगा.

गर किया सद्कर्म वह तू साथ लेकर जायेगा 

तेरे जाने पर भी निशदिन तेरे ही गुण गायेगा 

(मौलिक व अप्रकाशित)

जवाहर लाल सिंह 

Views: 593

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 12, 2013 at 2:33pm

आदरणीय दिलीप कुमार जी, हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 12, 2013 at 2:33pm

आदरणीया अन्नपूर्ण जी, हार्दिक आभार आपका!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 12, 2013 at 2:32pm

आदरणीय श्री केवल प्रसाद जी, आपका बहुत बहुत आभार!

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 11, 2013 at 12:26am

बहुत खूब जवाहर लाल सिंह जी  बधाई  स्वीकारें

Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 9:59pm
फूल जैसा ये है जीवन बाल यौवन अरु जरा.
फूल की खुशबू कभी तो कील से यह पथ भरा.

पाल मत प्यारे अहम तू एक दिन तू जायेगा.
सारी दौलत संगी साथी काम न कोई आयेगा.
गर किया सद्कर्म वह तू साथ लेकर जायेगा ...........................बहुत सुंदर भाव , सच्चाई से रूबरू करवाती आपकी रचना आपको बहुत बधाई । सादर
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 10, 2013 at 8:28pm

पाल मत प्यारे अहम तू एक दिन तू जायेगा.

सारी दौलत संगी साथी काम न कोई आयेगा.------आ0 जवाहर लाल जी,  वाह!  क्या बात है...!   ढेरो बधाईयां।  सादर,   

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2013 at 8:05pm

आदरणीया परवीन जी, सादर अभिवादन!
फूल शुबह से दोपहर तक खुशबू देता है पर शाम को कुम्हला जाता ही मेरा तात्पर्य यही है हर किसी के जीवन में बुढ़ापा आता है उसे जीवन का संध्या काल ही तो कहते हैं ... उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2013 at 8:03pm

आदरणीया विजया श्री जी, सादर अभिवादन!
उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2013 at 8:02pm

आदरणीय गिरिराज जी, सादर अभिवादन!
प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2013 at 8:00pm

आदरणीय अमन कुमार जी, सादर अभिवादन!
प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
39 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
43 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service