For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जादू  टोने टोटके,  फैले पाँव पसार,
श्याणे भौपे कर रहे,जिस्मों का व्यापार । 
 
झांड़-फूक के आड़ में, करते रहे शिकार,
धर्म जगत बदनाम हो,यह कैसा व्यापार । 
 
परम्परा के नाम पर, बढे अंध-विश्वास,
तत्व-बोध जाने बिना, क्यो कर रहे प्रयास । 
 
ड़ायन कहकर दागते, जीना करे हराम,
पागल कहकर साधते, तांत्रिक अपना काम । 
 
पाने की हो लालसा, बढ़ता जावे लोभ,
भाग्य भरोसे बैठकर, जब तब करते क्षोभ । 
 
बिल्ली काटे राह तो, नहीं समय प्रतिकूल,
समय न टाले काम का,सभी समय अनुकूल । 
 
कुत्ता  रोये रात को, अशुभ नहीं संकेत,
उसका दुःख जाने नहीं, खुद को करे सचेत । 
 
बिना तथ्य अरु तर्क के, गढ़े अंध-विश्वास,
अंध-श्रद्धा ठीक नहीं, समुचित होय विनाश । 
 
ढोंग और पाखण्ड से, पाए बिना निजात,
करे न काम विवेक से, करे भाग्य की बात ।
मौलिक व् अप्रकाशित 
 
 -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

Views: 1092

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 4, 2013 at 9:29am

दोहे पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया मंजरी पाण्डेय जी 

Comment by mrs manjari pandey on September 3, 2013 at 9:29pm

    आदरणीय लक्षमण प्रसाद जी  सुन्देर दोहे .

   

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2013 at 7:20pm

दोहे पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री बसंत नेमा जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2013 at 7:18pm

आपकर हार्दिक आभार आदरणीया अनुपमा बाजपाई जी एवं श्री जीतेन्द्र "गीत" जी 

Comment by बसंत नेमा on September 3, 2013 at 11:15am

बहुत सुन्दर दोहे ..बधाई लक्ष्मण जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2013 at 10:18am

दोहे  पसंद कर सराहने  के लिए आपका हार्दिक आभार श्रीram shiromani pathak ji,  Ramesh kumar chauhan ji, saadar 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2013 at 10:15am

दोहे की सराहना के लिए दिल से हार्दिक आभार श्री राजेश कुमार झा साहब

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2013 at 10:13am

आभार आभार आभार
रविकर जी सादर आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 2, 2013 at 11:46pm

अति सुंदर दोहे, बहुत बहुत बधाई आदरणीय लक्ष्मण जी

Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 11:15pm
ढोंग और पाखण्ड से, पाए बिना निजात,
करे न काम विवेक से, करे भाग्य की बात ।.................. bahut badhiya , sundar doho hetu badhai swikaren .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
7 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
23 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service