For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने मित्रों की सलाह पर कुछ परिवर्तन के साथ पुनः प्रेषित कर रहा हूँ -

 

जिंदगी इक छलावा  के सिवा क्या है

मौत भी बस, मुदावा के सिवा क्या है 

 

रोशनी की तड़प ही तो, अँधेरा है 

हर उजाला,भुलावा के सिवा क्या है 

 

शानो-शौकत, तमाशा है, यही जाना  

बेवजह ही, दिखावा के सिवा क्या है  

  

होश भी अब, कहीं दिखता नहीं, शायद   

बद्सरंजाम लावा के सिवा   क्या है 

 

मोह में और ममता में उलझ जाना

यह किसी ख़ास दावा के सिवा क्या है 

 

मुदावा = इलाज़ ;

बद्सरंजाम= जिस काम का अंजाम अच्छा न हो  

डॉ ललित 

मौलिक और अप्रकाशित

 

Views: 441

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ketan Parmar on June 30, 2013 at 1:48pm
Bhot khub kahi sirji
Comment by Sumit Naithani on June 28, 2013 at 3:50pm

सुंदर 

Comment by aman kumar on June 28, 2013 at 9:03am

यु तो पूरी ग़ज़ल अच्छी बनी है आरंभ से जोरदार .....

Comment by वेदिका on June 27, 2013 at 10:05pm

बढ़िया गजल पर शुभकामनायें!! 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 27, 2013 at 8:22pm

जिंदगी इक छलावा  के सिवा क्या है

मौत भी बस, मुदावा के सिवा क्या है ............वाह वाह, सुन्दर मतला, अच्छा किया आपने जो काफिया सुधार लिया, वरना पूरी ग़ज़ल ही गड़बड़ हो रही थी | 

 

रोशनी की तड़प ही तो, अँधेरा है 

हर उजाला,भुलावा के सिवा क्या है ............क्या बात है जनाब अच्छा शेर हुआ है, जरा देख लें कही तकाबुले रदीफ़ का दोष तो नही ?   

 

शानो-शौकत, तमाशा है, यही जाना  

बेवजह ही, दिखावा के सिवा क्या है ........... मिसरा सानी की अदायगी स्पष्ट नही है | 

  

होश भी अब, कहीं दिखता नहीं, शायद   

बद्सरंजाम लावा के सिवा क्या है .............माफ़ कीजिएगा किंतु कहन मुझे कमजोर लगा । 

 

मोह में और ममता में उलझ जाना

यह किसी ख़ास दावा के सिवा क्या है .......बढ़िया शेर, दाद क़ुबूल करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122**भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आइन्सान को इन्सान बनाने के लिए आ।१।*धरती पे…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी…"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"२२१ १२२१ १२२१ १२२ ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )

चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
9 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
14 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर ज़र्रा नवाज़ी का सादर"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
18 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service