For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!! ये यादे !!  

कभी होठो पे हँसी लाती है ये यादे ।

कभी आंखो मे नमी लाती है ये यादे ।।

कभी माशूक कभी मासूम सी होती है ये यादे ।

बडी मस्खरी वहरुपिया होती है ये यादे ।।

नजाकत वक्त की न माहौल  देखती है ये यादे ।

बेतख्लुफ  बेशरम सी होती है ये यादे ।।

बन्द रखता हू मै अपने घर की, खिडकिया दरवाजे ।

फिर भी न जाने कहाँ से, चली आती ये यादे ।।

भूलना चाहो तो और याद आती है ये यादे ।

तन्हाईयो मे और भी तडफती है ये यादे ।।

कभी जीने की वजह होती है ये यादे ।

कभी मरने का बहाना होती है ये यादे ।।

साथ उजालो मे देते है अपने  ये साये |

अन्धेरो मे साथ देती है ये यादे ।।

निशाँ यादो के मिट जाये, पर नही मिटती है ये यादे ।  

दूर जितना भी भागो, पीछे चली आती है ये यादे ॥

वक्त रुखसत के आंखो मे उतर आती है ये यादे ।

आईना तेरे करमो का होती है ये यादे ।।

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on June 20, 2013 at 11:49am

आ0 विजय श्री जी यादो की याद मे शमिल होने के लिये  बहुत बहुत  शुक्रिया ..आभार 

Comment by बसंत नेमा on June 20, 2013 at 11:48am

आ0 सुमित जी यादो के सफर मे साथ आने के लिये बहुत बहुत  शुक्रिया ..आभार 

Comment by Sumit Naithani on June 14, 2013 at 1:02pm

 ये यादें  (y) बहुत ही सुंदर 

Comment by vijayashree on June 14, 2013 at 12:57pm

कभी होठो पे हँसी लाती है ये यादे ।

कभी आंखो मे नमी लाती है ये यादे ।।

 

बन्द रखता हू मै अपने घर की, खिडकिया दरवाजे ।

फिर भी न जाने कहाँ से, चली आती ये यादे ।।

 

वक्त रुखसत के आंखो मे उतर आती है ये यादे ।

आईना तेरे करमो का होती है ये यादे ।।

 

यादों का खुबसूरत चित्रण

Comment by बसंत नेमा on June 14, 2013 at 12:43pm

आ. कुंती जी रचना को मान देने के लिये धन्यवाद और आभार ..... 

Comment by बसंत नेमा on June 14, 2013 at 12:42pm

आ. श्री  जितेन्द्र जी .श्री  अबिद अली जी  बहुत बहुत धन्यवाद आप को रचना पसन्द आई उसके लिये आभार 

Comment by coontee mukerji on June 14, 2013 at 1:00am

बन्द रखता हू मै अपने घर की, खिडकिया दरवाजे ।

फिर भी न जाने कहाँ से, चली आती ये यादे ।।.........क्या करें इन यादों का जो बार बार मन को तड़पाता है. मैं समझती हूँ  इंसान अपनी यादों से कभी नहीं भाग सकता .आपने बहुत अच्छा लिखा है .

Comment by Abid ali mansoori on June 12, 2013 at 7:47pm
सुन्दर रचना के लिए बधाई आपको आदरणीय!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 12, 2013 at 7:42pm
आदरणीय...बसंत जी, बहुत सुंदर रचना.....शुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
38 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
43 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामहजी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
44 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
45 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service