For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


परिचय करते वक्त ही,  पहले पूछे नाम

परिचय सुद्रड़ हो तभी, करे बात की काम॥ 

परिचय देवे पेड़ का, बच्चे को बतलाय,

इनके क्या क्या नाम है,अच्छे से समझाय 

 

कन्द मूल खाकर रहे, वन में सीता राम,
चौदह वर्षों तक किया, पेड़ तले विश्राम ||


वृक्षों में मै पीपल हूँ, कृष्ण स्वयं बतलाय

वृक्षों में भी प्राण है, इसको वह समझाय || 


वटवृक्ष  तले बैठकर, लिया बुद्ध ने ज्ञान,

पेड़ पौध सब सांस ले, गौत्तम दे संज्ञान       

 

प्रभु कृपा से पेड़ मिले, ईसा का सन्देश,

रब दी छाया पेड़ से, नानक का उपदेश ||

 

कोंपल कुचले ना कभी, टहनी को मत तोड़,

तन-मन ताजा रह सके, इनसे नाता जोड़ ||

 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 570

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 7, 2013 at 8:52am

नमस्कार आदरणीया ममता श्री जी, उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 7, 2013 at 8:49am

हार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्री बृजेश नीरज जी 

Comment by MAHIMA SHREE on June 6, 2013 at 10:57pm

नमस्कार आदरणीय . बहुत ही सुंदर दोहें .. बधाई आपको

Comment by बृजेश नीरज on June 6, 2013 at 10:45pm

आपके इस प्रयास पर मेरी ढेरों बधाई!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 6, 2013 at 4:24pm

दोहे की सार्थक अभ्व्यक्ति बताते हुए उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार श्री सुरेन्द्र वर्मा जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 6, 2013 at 4:22pm

दर्द पेड़ का देखकर, रविकर ने  ली सीख

रविकर जैसे सब बने,कविवर मांगे भीख  

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on June 6, 2013 at 2:53pm

बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण, सार्थक अभिव्यक्ति, बधाई.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 6, 2013 at 11:16am

जी आपने सही कहा विषम चरण में लघु गुरु की जगह गुरु गुरु हो गया, इसे संशोधित कर रहा हूँ | संज्ञान में लाने के लिए

आपका हार्दिक आभार आदरणीय 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 6, 2013 at 10:36am

दोहे पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री आबिद अली मंसूरी साहिब | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 6, 2013 at 10:35am

आपका हार्दिक आभार भाई श्री संदीप कुमार पटेल जी, सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service