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याद तुम्हारी , कितनी प्यारी ,
धीरे-धीरे मन के आँगन में ,
चुपके से आ जाती हे |

याद तुम्हारी , बड़ी दुलारी ,
आँखों  से  , अंतर मन को ,
परम सुख पहुँचती हे |

कभी हँसाती याद तुम्हारी ,
कभी रूलाती हे मुझको ,
कभी थकाती याद तुम्हारी ,
कभी सुलाती हे मुझको |

याद तुम्हारी धूप छाँव सी ,
कभी हे बदली , कभी बरसती ,
याद तुम्हारी एक नाव सी ,
कभी हे थमती , कभी मचलती |

याद तुम्हारी व्यथित ह्रदय में ,
शूल भेद सी जाती हे ,
याद  तुम्हारी तीव्र वेग से ,
मन को तडफा जाती हे |

बस एक बार , सिर्फ़ एक बार ,
माँ तुम वापस आ जाओ ,
लगाकर मुझको अपने हृदय से ,
मेरा बचपन लौटाओ ,

माँ वहीं खड़ा हूँ , 
जहाँ खड़ा था ,
जहाँ तुमको देखा अंतिम बार ,
भूल गया सब रीत जगत की ,
भूल गया सब जग परिवार ,

देख रहा हूँ बस राह तुम्हारी ,
कब तुम वापस आओगी ,
थाम के हाथ अपने प्रिय का ,
अपने संग ले जाओगी ,

वहीं खड़ी हे मेरी नज़रें ,
जहाँ पर तुमने छोड़ दिया ,
ठहर गया अस्तित्व वहीं पर , 
जहाँ पर रास्ता मोड़ लिया ,

याद तुम्हारी उसी मोड़ पर ,
बार -बार ले जाती हे ,
याद तुम्हारी गहन वेदना ,
बन मन पर छा जाती हे ,

याद तुम्हारी -- एक प्रश्न ?
क्या तुम वापस आओगी ?
क्या तुम अपने प्रिय पुत्र को ,
जीवन दर्शन करवाओगी ?

  • अश्क 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 590

Comment

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2013 at 5:33pm

बस एक बार , सिर्फ़ एक बार ,
माँ तुम वापस आ जाओ ,
लगाकर मुझको अपने हृदय से ,
मेरा बचपन लौटाओ

शानदार अभिव्यक्ति हेतु बधाई, सर जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 14, 2013 at 3:41pm

माँ को पुकारती मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति 

बधाई आ० अशोक कत्याल जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on April 14, 2013 at 10:25am

मर्म को छूती कोमल रचना के लिए बधाई..........

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 13, 2013 at 11:12pm

आदरणीय अश्क जी सादर, सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.बहुत सुन्दर रचना दिल को छू रही है.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 9:41pm

बहुत ही भावपूर्ण रचना है आदरणीय 

सादर बधाई स्वीकारें 

Comment by बृजेश नीरज on April 13, 2013 at 7:35pm

अशोक जी बहुत सुन्दर! बधाई स्वीकारें!

Comment by ram shiromani pathak on April 13, 2013 at 6:52pm

आदरणीय अशोक जी: बहुत सुन्दर रचना!हार्दिक बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on April 13, 2013 at 4:19pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ...........................
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 13, 2013 at 4:01pm

माँ लो याद तो सभी को आती है, हाँ भावुक व्यक्ति को माँ कि याद ज्यादा सताती है | सुन्दर भाव रचना के लिए बधाई 

Comment by vijay nikore on April 13, 2013 at 10:02am

आदरणीय अशोक जी:

 

इस भावपूर्ण रचना के लिए कोटिश बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

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