For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिकहा बाबा ----प्रेस वार्ता

पिकहा बाबा ----प्रेस वार्ता 

------------------------------
हे नाती बाबू एहर सुना देखा अंतरजाल आश्रम पर काफी भीड़ इकट्ठी होएला. का  माजरा  बा ?
सुना नाना जी कौनो चिंता न किये . ई सब चारों स्तंभ के लोग इकठ्ठा कियेला . आज तोहरा प्रेस वार्ता का आयोजन बा .
देखा नाती हमका चरका न देवा . २ महीना हो गईला हमरे अवतार का रोजे रोज दांव होएला. कौनो हमरे पास न आवेला. न जाने सब कहाँ बिजी बा . बड़ा मनेजमेंट गुरु बनेला. इतना मा तो हम पूरे  देश की सरकार कई बार बदलवा देते. 
नाना ज्यादा शेखी ठीक न बा . ३ स्तंभ तो एश कर रहे हैं. चौथे स्तंभ को बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है . बहुत व्यस्त हैं. धरा  -६६ की घुट्टी से घबराए हैं. 
क्या बात करते हो नाती, ये काहे घबरावत हैं. ये तो महामुनी नारद के वंशज हैं. कवि की कल्पना से तेज हैं. बेड रूम तक इनकी पहुँच है. नारद जी को तो कभी अपमान नही सहना पड़ा. क्या ये अपनी मर्यादाएं लांघ रहे हैं. 
अच्छा नाना चुप रहो, बड़ी मुश्किल से इकठ्ठा किया है. बिदक गए तो ऐसे ही  तड़पोगे. कई बार इनके आयोजन पर की गयी सारी व्यवस्था बेकार चली गयी है. वैसे भी  बाबाओं के इतने चर्चे हो गए हैं कि ये उनकी कवरेज से डरते हैं. कहीं बाबा अपने कोमल हाथ से चित्र लेने वाले के गाल  पर अपने हाथ का चिन्ह न छाप  दे .
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
उपस्थित चारों स्तंभ के महानुभावों , आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं स्वागत है. ये प्रेस वार्ता मेरे द्वारा  आयोजित है . वार्ता सामग्री आपको दी जा चुकी है .प्रश्न उसी के अनुसार होने चाहिए. मैने बहुत प्रयास किया की आपको कष्ट न दूं. अपने कई चॅनल खोल लूं. पर बहुत महंगे पड़ रहे थे. आशा है कि  आप मेरी बात समझ गए होंगे.. 
पत्रकार---
आप बाबा हैं और आपका ये रूप, बिलकुल साधारण. कोई विशिष्ट विन्यास नही?
बाबा ....
वस्त्र विन्यास , केश विन्यास ? इस विशिष्टता की  मुझे क्या आवश्यकता . देश में विशिष्ट जनों कि कमी है क्या. हर क्षेत्र में भरे पड़े हैं . सामान्य वस्त्र , सामान्य रूप एक आम आदमी जैसा . उन्ही के बीच का. आवश्यकता पड़ने पर उन्ही के बीच खप जाऊं . वस्त्र बदल के रूप न बदलना  पड़े . 
मैं आम आदमी हूँ , आपका हूँ. 
पत्रकार .....
बाबा आपने अपना आश्रम अंतरजाल पर क्यों बनाया है ? क्या धरती पर आपको जमीन  नहीं मिली ?
बाबा ....
सबसे सुरक्षित स्थान है. पलक झपकते ही सब से संवाद की सुविधा. नीचे  बड़ी हाय तौबा मची है. जमीन  घोटाला, संम्पत्ति घोटाला न जाने क्या क्या. 
पत्रकार ....
पर बाबा इस समय तो अंतरजाल पर ही सबसे बड़ा खतरा है. वो धारा ६६- घुट्टी. 
बाबा ..
बात तो सही कह रहे हैं आप पर ये बनी तो ठीक है पर इसका दुरुपयोग ठीक नहीं है. 
पत्रकार ...
धरती पर आप कैसे कार्य करेंगे जब कि आप अन्त्योदय के लिए अवतार लिए हैं. 
बाबा ...
धरती पर मैं पद यात्रा करूँगा. गांव - गांव जाऊँगा. जो सम्पन्न लोग हैं उनके पास जा कर निवेदन करूँगा कि आप जो कर रहे हैं उससे मेरा कोई मतलब नहीं . बस आप इन गरीबों का ध्यान कीजिये. इनका हक न मारा जाये. निश्चित ही  वे मेरे निवेदन को मान देंगें.
पत्रकार ...
देश की वर्तमान राजनीति के बारे में क्या कहना है ?
बाबा ......
मेरी कथनी करनी में अंतर नहीं पायेंगे . पूरा एजेंडा आपको दिया है. जब समाज के लोग वास्तविक रूप से शिक्षित होंगे. उनके पेट भरे होंगे. तभी वे राष्ट्र के बारे में नैतिक जिम्मेदारी हेतु सजग हो पायेंगे. अभी तो कांच के टुकड़ों की तरह धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्रवाद में जकड़े हुए हैं. खुद भी घायल और इनको छूने वाला भी घायल. राजनीति जिनका काम है वो करे. न अंदर से न बाहर से समर्थन या विरोध. गुड खाए और गुलगुलों से परहेज.
पत्रकार ...
बाबा जी आपके उद्देश्य की पूर्ती हो, जल्दी ही आपसे भेंट होगी. 

Views: 503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:30pm

जय हो 

आदरणीय अशोक जी, सादर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 16, 2012 at 12:34am

जय हो बाबा की.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 7, 2012 at 3:19pm

धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 7, 2012 at 3:19pm

धन्यवाद, आदरणीय सूरज जी, 

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 3, 2012 at 9:56pm

बहुत सार्थक प्रेसवार्ता अच्छी लगी पोस्ट 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 3, 2012 at 3:47pm

प्रदीप जी बहुत ही रोचक ढंग से आपने एक सच्छी प्रैस वार्ता की जागती तसबीर खींच दी है....बहुत खूबसूरत प्रश्तुति ॥बधाइयाँ स्वीकार करें !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service