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तेरे भी ख्‍वाबों में कोई
अलबेली आई तो होगी
कनक कलश भर सुधा लुटाते
क्षितिज नए लाई तो होगी

उसकी कोरी एक छुअन से
पोर-पोर जागी तो होगी
पलक बंद कर तुमने भी तो

कोई दुआ मांगी तो होगी

सच कहना उसकी यादों में
कितनी रात गंवाई तुमने
कितनी तीली कितने दीपक
कितनी आस जलाई तुमने

खिला-खिला वो तेरा चेहरा
कितना बेबस बेजान हुआ
कितने लम्‍हें कितनी सदियां
वो हमसाया अनजान हुआ

वो फूलों का सफर सुहाना
धड़कन कुछ बाकी तो होगी
चलो उसी को आज पकड़ ले
नई कोई झांकी तो होगी

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Comment by राज़ नवादवी on October 5, 2012 at 12:26pm

//सच कहना उसकी यादों में
कितनी रात गंवाई तुमने
कितनी तीली कितने दीपक
कितनी आस जलाई तुमने//

अच्छे ख्याल हैं, अच्छी रचना. बधाई आपको!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 5, 2012 at 9:36am

बहुत सुन्दर गीत आदरणीय राजेश जी ...बधाई आपको

Comment by Bishwajit yadav on October 4, 2012 at 9:42pm
राजेश भाई बहुत सुन्दर गीत
Comment by seema agrawal on October 4, 2012 at 9:06pm

वो फूलों का सफर सुहाना
धड़कन कुछ बाकी तो होगी
चलो उसी को आज पकड़ ले
नई कोई झांकी तो होगी...वाह बहुत सुन्दर शब्दों का प्रयोग ..........,खूबसूरत गीत 

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