For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परमपिता के श्रीचरणों में, महफ़िल सजे तिहारी

हमारे प्यारे काका राजेश खन्ना के देहावसान पर  अलबेला खत्री की शब्दांजलि

छन्न पकैया - छन्न पकैया, कहाँ चले तुम काका
छोड़ के अपना देश आपने रुख ये किया कहाँ का

छन्न पकैया - छन्न पकैया,  मुमताज़ रो पड़ेगी
दो दो हीरो एक साथ गये, दुःखड़ा किसे कहेगी

छन्न पकैया - छन्न पकैया, पहलवान के पीछे
अपना सुपर स्टार चला गया, अपनी आँखें मीचे  

छन्न पकैया - छन्न पकैया, श्रद्धांजली हमारी
परमपिता के श्रीचरणों में, महफ़िल सजे तिहारी

छन्न पकैया - छन्न पकैया, आँखें हैं भर आई 
बहुत दुखी हूँ खो कर अपना , प्यारा खत्री भाई

-अलबेला खत्री

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 20, 2012 at 12:54am

धन्यवाद भ्रमरजी......
बहुत बहुत धन्यवाद
आपका स्वागत है
____दिवंगत को विनम्र श्रद्धांजलि

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 20, 2012 at 12:35am

छन्न पकैया - छन्न पकैया, पहलवान के पीछे 
अपना सुपर स्टार चला गया, अपनी आँखें मीचे   

छन्न पकैया - छन्न पकैया, श्रद्धांजली हमारी 
परमपिता के श्रीचरणों में, महफ़िल सजे तिहारी

प्रिय अलबेला जी  हमारी तरफ से भी श्रद्धांजलि काका को ..प्रभु चरणों में महफिले भी  ...बधाई 

बहुत दुखी हूँ खो कर अपना प्यारा,............................. खत्री भाई 
भ्रमर ५ 

 

Comment by Albela Khatri on July 20, 2012 at 12:23am

आपका हार्दिक स्वागत है श्री उमाशंकर जी......
सादर

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 19, 2012 at 11:39pm

छन्न पकैया - छन्न पकैया, आँखें हैं भर आई 
बहुत दुखी हूँ   खो कर अपना , प्यारा खत्री भाई

हम सब की तरफ से प्रिय नायक राजेश खन्ना को  अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

इस गमगीन छन्न पकैया के लिए श्री श्री अलबेला जी का आभार

Comment by Albela Khatri on July 19, 2012 at 1:05pm

छन्न पकैया-छन्न पकैया, आओ रेखा जोशी
मिलकर बोलो प्रेमपूर्वक, जय जय माँ संतोषी

Comment by Albela Khatri on July 19, 2012 at 1:00pm

छन्न पकैया-छन्न पकैया, प्रभु के खेल निराले
हरा भरा कर दे भीतर तक, जब वह दृष्टि डाले

छन्न पकैया-छन्न पकैया, आप महाभागी हैं
आपके भीतर उसकी दिव्य किरपायें जागी हैं

___मुबारक हो अम्बर जी............हा हा हा

Comment by Rekha Joshi on July 19, 2012 at 12:57pm

अलबेला जी ,सादर 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, लो श्रधा सुमन हमरे
डिम्पल संग सब रोती बेटी,  और है फैन तिहारे 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 19, 2012 at 12:38pm

छन्न पकैया-छन्न पकैया, अनुकम्पा ईश्वर की.

मात्र निमित्त बने हम सब हैं जय जय जय प्रभुवर की.. :-)

सादर

Comment by Albela Khatri on July 19, 2012 at 12:25pm

छन्न पकैया-छन्न पकैया, ये जो धार बही है
श्रीवास्तव जी वास्तव में ये अनुकम्पा तुम्हरी है
___हा हा हा ......
___जय अम्बर ! जय जय अम्बरीश !!

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 19, 2012 at 11:35am

छन्न पकैया-छन्न पकैया, भावों का यह रेला.

प्रत्युत्तर है मन को भाया, स्वागत है अलबेला..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया इस जगमगाती शह्र की हर शाम है…"
2 minutes ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"विकास जोशी 'वाहिद' तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ…"
15 minutes ago
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल जो दे गया है मुझको दग़ा याद आ गयाशब होते ही वो जान ए अदा याद आ गया कैसे क़रार आए दिल ए…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221 2121 1221 212 बर्बाद ज़िंदगी का मज़ा हमसे पूछिए दुश्मन से दोस्ती का मज़ा हमसे पूछिए १ पाते…"
2 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, ग़ज़ल की बधाई स्वीकार कीजिए"
3 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। वो शोख़ सी निगाहें औ'…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गयामानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१।*तम से घिरे थे लोग दिवस ढल गया…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221    2121    1221    212    किस को बताऊँ दोस्त  मैं…"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया जो कुछ भी मेरे साथ हुआ याद ही…"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"सूरज के बिम्ब को लेकर क्या ही सुलझी हुई गजल प्रस्तुत हुई है, आदरणीय मिथिलेश भाईजी. वाह वाह वाह…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service