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कच्ची रोटी भी  प्रेमिका की भली लगती है
बीबी अच्छी भी खिलाये तो जली लगती है |


बीबी  हँस दे  तो कलेजा ही  दहल जाता है
प्रेयसी  रूठी  हुई  भी  तो  भली  लगती है |


नये - नये  में  बहु  कितनी  भली लगती है
फिर  ससुर - सास को वो बाहुबली लगती है |


कलि  अनार की  लगती  थी ब्याह से पहले
अब मैं कीड़ा हूँ  और वो छिपकली लगती है |


फिर  चुनी  जायेगी  दीवार में पहले की तरह
ये    मोहब्बत  सदा  अनारकली  लगती  है |


इस  शहर  के सभी आशिक हैं परेशान बहुत
फिर  कहीं  तेरी  मेरी  बात  चली  लगती है |


रेल  की  बोगी  को  बैलों  से खींच कर लालू
बोले  लोकल भी  अब  गीतांजलि  लगती है |


जिंस  और  टॉप  , कटे बाल, ऊँची सैंडल में
छोरी  हमको  तो  फकत मसक्कली लगती है |


फिर  युधिष्ठिर  नजर  आया है जुआखाने में
किसी  शकुनि ने  नई  चाल  चली  लगती है |


सूर  रसखान  घनानंद  औ’  केशव  तुलसी
गोद  में कविता  इन  सबकी, पली लगती है |


एक ही तुलसी जनम लेता है इस दुनियाँ में
सबकी किस्मत में कहाँ रत्नावली लगती है |

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 26, 2012 at 10:44pm

आदरणीय अरुण जी, सादर 

किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊं ऐ अरुण 

मुझे तो सारी की सारी अच्छी लगती है 

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 10:41pm

हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

कलि  अनार की  लगती  थी ब्याह से पहले
अब मैं कीड़ा हूँ  और वो छिपकली लगती है |

हा हा हा हा हा हा हा
______हो हो हो हो हो हो हो हो

___जय हो अरुण जी की

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 26, 2012 at 10:23pm

वाह वाह अरुण भाई

गजब की हास्य गजल है

एक एक लाईन मस्ती भरे मजेदार है

सभी मसालों का सही मिश्रण

बधाई ......बधाई ...वाह


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Comment by rajesh kumari on June 26, 2012 at 10:10pm

क्या कमाल की ग़ज़ल लिखी है सभी शेर  रोचक  हैं अरुण जी  

कृपया ध्यान दे...

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"जय हो.. "
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"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
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"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
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"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
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"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
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"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
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"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
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"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
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