For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूपसी संध्या

अरुण करुण रतनार गगन में 
कुछ चंचल कुछ शांत भाव में लीन
अद्वैत रागिनी अलापती ...
धुल धूसित आभा से कुछ थकी मंशा से 
मधुर-मधुर करुण ध्वनि की रागिनी ! 

यों डगमग हलचल सरिता की लहरों सी
उथल पुथल कर गिरती चलती 
असफल पथिक की करुण कथा 
शांत-शांत शून्य में झाँकती
रोती मुस्कराती रूपसी
हरित धरा के अधर चूमती
बिलखती खुदगर्ज़ प्रहार की ध्वनि सी
कुञ्ज काननों में गूँजती बेवशी..!

नाज़ुक कपूर सी तिमिरांचल से फूँकती 
यों घनीभूत पीड़ित चाँद सी शीतल
अम्बर के आनन सी ताकती
शांत सागर की नाव 
अव्यक्त सी निहारती !

क्रोड में भूसर्व को फुसलाती बहलाती
करुण पालने में मदमस्त बावली
झुलाती, सुलाती निःचश्म , निष्कपट 
कलियाँ हिलतीं वृन्त में ज्यों धीरे धीर ..
निश्तब्ध, निःशब्द, शांत शांत .
व्योम की तारिकाओं सी चर-अडिग 
आसन्न , अनल , गतिज 
वह सुंदरी चमकती दमकती !!

Views: 430

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Raj Tomar on June 12, 2012 at 3:20pm

सराहना करने के लिए आप सब का तहे दिल से शुक्रिया. :)

Comment by Arun Sri on June 12, 2012 at 10:33am

वाह ! बहुत ही सुन्दर कविता !
सुन्दर शब्द शिल्प !
और शब्द सामर्थ्य के क्या कहने ! वाह !!!!!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 12, 2012 at 9:51am

bahut sundar is apratim rachna ke liye badhaai 

Comment by Raj Tomar on June 11, 2012 at 11:40pm
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी. :)
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 11, 2012 at 12:02pm

यों डगमग हलचल सरिता की लहरों सी
उथल पुथल कर गिरती चलती 
असफल पथिक की करुण कथा 
शांत-शांत शून्य में झाँकती
रोती मुस्कराती रूपसी
हरित धरा के अधर चूमती
बिलखती खुदगर्ज़ प्रहार की ध्वनि सी
कुञ्ज काननों में गूँजती बेवशी..!

बहुत  सुन्दर भाव एवं रचना हेत बधाई, महोदय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
16 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service