For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो सिर्फ बदनाम है

बेवफाई तेरी का ये अंजाम है
गूंजता महफ़िलों में मेरा नाम है |

क्या मिला पूछते हो, सुनो तुम जरा
इश्क का अश्क औ' दर्द इनाम है |

आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे
आ गया अब मेरे हाथों में जाम है |

दौर है नफरतों का , चैन खो रहा
लाजमी प्यार का आज पैगाम है |

बात कहना मेरा काम था , कर दिया 
अब नियम ढूंढना आपका काम है |

मान जाओ इसे है हकीकत यही 
बद नहीं विर्क वो सिर्फ बदनाम है |

-------------- दिलबाग विर्क 

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on June 5, 2012 at 2:30am

आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे

आ गया अब मेरे हाथों में जाम है | बहुत अछे दिलबाग जी !!
Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 10:57pm
इश्क का अश्क औ' दर्द इनाम है |
बहुत सुन्दर अहसास देती ये रचना

Comment by dilbag virk on May 26, 2012 at 9:21pm

सभी सुधीजनों का हौंसला अफजाई के लिए आभार

Comment by Abhinav Arun on May 26, 2012 at 3:02pm
आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे
आ गया अब मेरे हाथों में जाम है |
वाह वाह श्री दिलबाग जी हर शेर जानदार बाकमाल है हार्दिक बधाई आपको !!
Comment by आशीष यादव on May 26, 2012 at 9:52am

वाह सर, कमाल की रचना रची है आपने। 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 25, 2012 at 11:51pm

क्या मिला पूछते हो, सुनो तुम जरा

इश्क का अश्क औ' दर्द इनाम है |
मान जाओ इसे है हकीकत यही 
बद नहीं विर्क वो सिर्फ बदनाम है |
सुन्दर गजल विर्क भाई जी ...ऐसा ही रंग चढ़ता है ....भ्रमर ५ 

Comment by Rekha Joshi on May 25, 2012 at 7:09pm

आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे

आ गया अब मेरे हाथों में जाम है | bahut badhiya ,badhai 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 25, 2012 at 1:08pm

बात कहना मेरा काम था , कर दिया 

अब नियम ढूंढना आपका काम है |:)))
bahut khoob
Comment by Yogi Saraswat on May 25, 2012 at 11:43am
आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे
आ गया अब मेरे हाथों में जाम है |
बहुत खूब , विर्क साब ! बढ़िया ग़ज़ल
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 25, 2012 at 11:17am

आदरणीय विर्क जी, सादर 

बेवफाई तेरी का ये अंजाम है  की जगह  तेरी बेवफाई  का ये अंजाम है कैसा रहेगा.  कृपया अन्यथा न लें 

मान जाओ इसे है हकीकत यही 
बद नहीं विर्क वो सिर्फ बदनाम है |  बहुत खूब बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service