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एक नया कलाम : भलाई के नाम....

कर भला कर भला गर भला कर सके....
नफरतो को मिटा गर भला कर सके....

नाउम्मीदी भरा कोई जब भी मिले....
आस उसको बंधा गर भला कर सके....

जब कभी कोई अंधा दिखे राह में....
पार उसको लगा गर भला कर सके....

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

जिंदगी की मिटा दें हर इक तीरगी....
दीप ऐसे जला गर भला कर सके....

राज हर इक कदम आंसुओं को यहाँ....
मुस्कुराना सिखा गर भला कर सके....

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 23, 2012 at 7:55pm

अच्छे शे'र निकाले हैं , दाद कुबूल करें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2012 at 3:35pm

इस भली-भली सी ग़ज़ल में सारे शे’र भले-भले से हैं.

बधाई

Comment by Yogi Saraswat on May 19, 2012 at 4:15pm

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

बहुत सटीक लफ़्ज़ों में एक सार्थक सन्देश देती ग़ज़ल ! बधाई

Comment by Shayar Raj Bajpai on May 16, 2012 at 10:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा MAHIMA SHREE जी....

Comment by MAHIMA SHREE on May 16, 2012 at 9:02pm

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

जिंदगी की मिटा दें हर इक तीरगी....
दीप ऐसे जला गर भला कर सके....

सन्देश देती आपकी गजल बहुत ही खुबसूरत बन पड़ी है .. बहुत -२ बधाई आपको



Comment by Shayar Raj Bajpai on May 16, 2012 at 8:10pm

शुक्रिया जनाब राज तोमर जी....

Comment by Raj Tomar on May 16, 2012 at 7:47pm

बहुत अच्छा. :)

Comment by Shayar Raj Bajpai on May 16, 2012 at 7:05pm

SHAILENDRA KUMAR SINGH 'MRIDU' ji SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR  ji... Rekha Joshi  ji....Bhawesh Rajpal ji.... आशीष यादव ji.... योगराज प्रभाकर ji.... SANDEEP KUMAR PATEL ji.... Arun Kumar Pandey 'Abhinav'  ji.... डॉ. सूर्या बाली "सूरज"  ji.... Aap sabhi ko tah-e-dil se shukriya.... aap sabhi ke itne sunder comments se mai dhanya ho gaya.... meri mehnat sarthak huyi..... Lakh lakh shukriya....

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 4:50pm

बाजपाई जी बहुत उम्दा ग़ज़ल प्रशतुत की है आपने  ! दाद कबूल करें ! बहुत अच्छे अश'आर हैं ! कमाल का रदीफ़ निकाला है आपने ! मज़ा आ गया !

Comment by Abhinav Arun on May 16, 2012 at 3:59pm

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

वाह राज जी आपकी सीख देती इस रचना के सन्देश को गाँठ बाँध लिया जाए तो दुनिया की सूरत बदल जाए हार्दिक बधाई इस रचना के लिए !!

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