For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


▬► Photography by : Jogendrs Singh ©
► NOTE :- उपरोक्त दोनों चित्र मुंबई के भाईंदर ईलाके में "केशव-सृष्टि" नामक जगह का है..!!

::::: आजकल खयाल ::::: © (मेरी नयी कविता)
जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 10 अगस्त 2010 )

► NOTE :- कृपया झूठी तारीफ कभी ना करिए.. यदि कुछ पसंद नहीं आया हो तो Please साफ़ बता दीजियेगा.. मुझे अच्छा ही लगेगा..
▬► !!..धन्यवाद..!!

(इस कविता की प्रथम दो पंक्तियाँ मेरे मित्र सोहन से प्रेरणा स्वरुप ली गयी हैं ... )

जैसा कि मैंने ऊपर भी लिखा है कि कविता की प्रथम दो पंक्तियाँ मैंने अपने मित्र सोहन से ली हैं ... फिर भी मेरी समझ में पानियों अजीब सी अनुभूति देने के बावजूद भी सार्थक सा ही लगता है , उसकी वजह है कि यहाँ पानी को सोच या खयाल के लिए सांकेतिक रूप से ही लिया गया है और पानी के हर अणु को एक सोच सा महसूस करें तो सारे कण मिलकर बहुवचन सा अहसास दिलाते हैं ... सिर्फ इसीलिए यहाँ पानियों का प्रयोग भी मैंने ज्यों का त्यों कर लिया है ...
.

Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 29, 2010 at 2:21pm
@ राणा , सच कहते हो छोटे ... ख्यालों का क्या है जैसे चाहो विस्तार दे दो ...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 28, 2010 at 11:27pm
ख्याल तो बढ़ती हुई मंहगाई की तरह हैं काबू में ही नहीं आते हैं|
Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 28, 2010 at 7:47pm
@ संजय जी , खयाल पसंद करने पर आभार ...
Comment by Sanjay Kumar Singh on August 28, 2010 at 5:52pm
khyal achcha hai, aur kavita bhi,
Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 28, 2010 at 3:50pm
@ बागी जी , मन के भावों को समझने एवं तारीफ के लिए शुक्रिया ...
Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 28, 2010 at 3:49pm
@ कंचन जी , उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया ...
Comment by Kanchan Pandey on August 28, 2010 at 3:33pm
achchi rachna, Achcha Photographs,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 27, 2010 at 7:33pm
जोगेंद्र जी, वास्तव मे मन एक ऐसा स्वतंत्र जीव है जिसके उड़ान पर कोई रोक नहीं है, वो उड़ान भरता रहता है, कभी सार्थक तो कभी निरर्थक, छोटी सी कविता मे आप ने गहन तथ्यों का समावेश कर दिया है,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service