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रैप टाइम (हास्य ) हिंगलिश- शैली

गिरते -पड़ते डांस करें, बिन सुर - ताल के गाना.
ये है रैप ज़माना - ये है रैप ज़माना.
स्कूल हो या कॉलेज हो, बस फिल्मों का नॉलेज हो.
क्या रखा है किताबों में, अलजबरा के हिसाबों में.
झगड़ा है इतिहासों में, टेंसन संधि- समासों में.
तर्कशास्त्र तो टेढ़ा है, इंगलिश एक बखेड़ा है.
राजनीति में पचड़ा है, अर्थशास्त्र एक दुखड़ा है.
कौन फंसे साइक्लोजी में, लफड़ा है बाईलोजी में.
पानीपत में कौन जीता, बेमतलब सर है खपाना.
ये है रैप ज़माना --------------------------------------
छोरे तंग हैं छोरी से, हुस्न के सीनाजोरी से.
इन्कलाब ऐसा आया, मर्द बेचारा घबड़ाया.
अब रिवाज़ नहीं पर्दों का, गया ज़माना मर्दों का.
मुछों का कोई यूज नहीं, अब इज्ज़त महफूज नहीं.
मर्द घुसे हैं किचन में, भिड़े हैं चौका- बरतन में.
हर शूरमा शरमाता है, बीवी से घबड़ाता है.
बाहर जो चिलातें हैं, अन्दर आ घिघियाते हैं.
मध्यम सुर में मर्द बोले, और पंचम सुर में जनाना.
ये है रैप ज़माना-------------------------------------------
हर लोगों में वीकनेस है, हर बातों में बिजनेस है.
गाड़ी तंग है सडकों से, अफसर तंग क्लर्कों से.
नेता टिके हैं वोटों पे, फ़ाइल सरके नोटों पे.
हीर सहमती रांझा से, जनता डरती वादा से.
शेर भागता गीदड़ से, मुल्क को खतरा भीतर से.
बिक जाते ईमान यहाँ, लुट जाते भगवान यहाँ.
निति- रीति का मापतपुरी, नाहक बिगुल बजाना.
ये है रैप ज़माना -------------------------------------------
गीतकार - सतीश मापतपुरी
मोबाइल - 9334414611

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 7, 2010 at 9:18am
वाह सतीश भईया वाह , बड़ी गहन दृष्टी है है आपकी ,
कह दी आपने सच्ची सच्ची , लेके हास्य का बहाना ,
ये है रैप ज़माना भईया ये है रैप ज़माना ..............

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 7, 2010 at 9:18am
हा ही हा ही हा ही हों हॊ हॊं...............किसी को नही छोडा...सब छ्टपटा रहे हैं.....सुन्दर हास्य रचना।

कृपया ध्यान दे...

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