हाँ तुमने ही तो किया था वादा,
मेरा समंदर भर दोगे।
जाने किस - किस से तुमने,
माँगा इसके लिए स्नेह।
पर अब भी रीता है,
मेरा समंदर, अधभरा . . .
उजली आँखों से निहारता,
टकटकी लगाए देखता।
शायद तुम अभी भी,
भरने को उत्साहित हो।
मांग लो किसी प्रेमी से,
थोड़ा और स्नेह।
न दे तो छीनो, मिटा दो,
प्रेम की बसती किसी की दुनिया।
उजाड़ दो किसी का घर,
और भर दो मेरा समंदर।
चाहे उसमें प्रेम की जगह,
किसी की खुशियों की दाह हो।
हाँ…
Added by Jaya Sharma on November 1, 2010 at 6:00am — 2 Comments
Added by Jaya Sharma on September 22, 2010 at 2:04pm — 4 Comments
Added by Jaya Sharma on September 2, 2010 at 7:30am — 4 Comments
Added by Jaya Sharma on September 1, 2010 at 8:30am — 5 Comments
Added by Jaya Sharma on August 13, 2010 at 5:02pm — 6 Comments
आदिकाल से रक्षा कर रहे हैं: नाग देवता
;समृद्धि का प्रतीक नागपंचमीद्ध
- जया केतकी
श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि नागपंचमी का त्यौहार सर्पाे को समर्पित है। इस त्योहार पर व्रत पूर्वक नागों की पूजा होती है। नागों का मूलस्थान पाताल लोक है। वेद-पुराणों में नागों का अस्तित्व महर्षि कश्यप और कद्रू से माना जाता है। पुराणों में ही नागलोक की राजधानी भोगवती पुरी है। विष्णु की शय्या की शोभा शेषनाग बढ़ाते हैं। भगवान शिव और गणेशजी के अलंकरण में भी नागों की मह्त्त्वपूर्ण भूमिका है।…
Added by Jaya Sharma on August 13, 2010 at 4:18pm — 4 Comments
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