चल तौल तराजू रिश्तों को
कुछ अपने पराये नातो को ...
एक तरफ चढा ले माँ को ही
सबसे प्यारा ये रिश्ता है
कचरों के डिब्बों में फिर क्यों
शिशुओं को फेंका जाता है
चल ...........
एक तरफ भाई और बंधू ले
फिर जर जमीन पर क्यों झगड़े है
पैसा धन दौलत पर से क्यों
सर अपनों के काटे जाते है
चल .........
एक तरफ जीवन साथी ले
ये जनम जनम का नाता है
तो तलाक फिर क्यों होते है
संग रहकर भी दुश्मन बनते है
चल…
Added by babita choubey shakti on May 16, 2016 at 10:00pm — 3 Comments
महाकाल दर लगो सिहस्थ है जनमन रहो हर्षाय
उज्जैनी नगरी देखो आज दुल्हनिया सी रही सुहाय
पितृ मिलन खो रेवा आई महाकाल रहे हर्षाय
शिप्रा रानी चरण पखारे., मिलन अनोखा रही कराय
एक और से गोरा रानी, लेय बलैेया नजर उतार
दूजी और गणराज हर्ष के, बहनी को है रहे निहार
कुम्भ मिलन खो सभी देवता सज धज आये खेवनहार
मित्र सुदामा राह तकत है, मित्र मिलन की प्यास जगाये
सांदीपनी घर मनमोहन आये शिक्षा रही यही पे पाय...
ब्रह्म बिष्णु नारद संग, राधे संग श्याम सरकार
सियाराम…
Added by babita choubey shakti on May 16, 2016 at 9:30pm — 4 Comments
Added by babita choubey shakti on July 30, 2015 at 6:49am — 3 Comments
Added by babita choubey shakti on July 15, 2015 at 4:18pm — 2 Comments
Added by babita choubey shakti on May 30, 2015 at 11:56am — 8 Comments
"रामकली कँहा जा रही है ? "
"अरे !जिज्जी कहूँ नई इताइ आ जा र्इ हो।"
"काय री रामकली जो माथों सुनो तोहरी बिंदी कहा गई री ?और मांग भी सुनी है?"
"अरे सपरो हतो सो गिर गई हुहे"।
" हे राम !जा जिज्जी तो और अबै सबरो भेद खुल जातो ।हम तो पेंशन लाने जो सब कर रहे हते।का होत है दो पल सुहाग छुड़ा के सरकार से पैसा लेबे में।"
और रामकली पति के साथ होते हुए भी सरकारी परित्यक्ता की पेंशन लेने चली जाती है।
बबिता चौबे शक्ति
मौलिक व् अप्रकाशित
Added by babita choubey shakti on May 26, 2015 at 3:00pm — 10 Comments
Added by babita choubey shakti on May 17, 2015 at 5:54pm — 3 Comments
पार्टी में दुल्हन को गहने से सजी देखते ही बस देखते ही रह गया । उसके देह पर सजे गहने मानो एक एक कर कह उठे कि मुझसे ही दुल्हन की खूबसूरती है । हर श्रंगार की बस्तु मुझसे बात कर रही थी कि अचानक कुछ खुसुर पुसुर हुई । मेरा ध्यान भंग हुआ ।
"क्या हुआ शर्माइन जी ? "
"कुछ नही रे ..! ये लड़का पागल है । सुंदरता के चक्कर में पड़ गया रे.! ये लड़की तीन घरोँ को बर्बाद करके आई है इसकी ये चौथी शादी है। अब न जाने यहाँ क्या गुल खिलायेगी ! "
"ओहो क्या ....?"
मैने पुनः उन सभी जेवरों से कहा…
Added by babita choubey shakti on May 12, 2015 at 1:00pm — 5 Comments
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