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Afsos Ghazipuri's Blog (3)

आज भी बदक़िस्मती का वो ज़माना याद है...

आज भी बदक़िस्मती का वो ज़माना याद है ।

एक ज़वा बेटे का दरया डूब जाना याद है ।



क्या सुनाए कोई नग़मा क्या पढ़ें अब हम ग़ज़ल,

ग़म में डूबा ज़िन्दगी का बस फसाना याद है ।



जश्ने-होली खो गई दीवाली फीक़ी पड़ गई,

अब फ़क़त हर साल इनका आना-जाना याद है ।



सोचते थे अब तलक़ वो छुप गया होगा कहीं,

लौट कर  आया नहीं उसका बहाना याद है ।



कर रहे थे बाग़बानी हम बड़े ही प्यार से,

आज भी…

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Added by Afsos Ghazipuri on November 26, 2011 at 8:08am — 2 Comments

छत पे उगे जो चाँद निहारा न कीजिए

छत पे उगे जो चाँद निहारा न कीजिए

सूरजमुखी का दिन में नज़ारा न कीजिए



महफ़ूज़ रह न पायेगी आँखों की रौशनी

दीदार हुस्ने-बर्क़ खुदारा न कीजिए



शरमा के मुँह न फेर ले आईना, इसलिये

ज़ुल्फ़ों को आइने में संवारा न कीजिए



ऐसा न हो कि ख़ुद को भुला दें हुज़ूर आप

इतना भी अब ख़याल हमारा न कीजिए



एहसा किसी पे कर के, किसी को तमाम रात

ताने ख़ोदा के वासते मारा न कीजिए



दिल जिस से चौक जाये किसी राहगीर का

अब उसका नाम ले…

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Added by Afsos Ghazipuri on November 25, 2011 at 9:14am — 6 Comments

आपका यूँ मुस्कुराना क्यों मुझे अच्छा लगा...

एक ग़ज़ल

आपका यूँ मुस्कुराना क्यों मुझे अच्छा लगा ?

एक होना, डूब जाना क्यों मुझे अच्छा लगा ?

 

जब अकेले हैं मिले, दीवानगी बढ़ती गई,

सिर हिलाना, भाग जाना क्यों मुझे अच्छा लगा ?

 

हाथ में मेरे, कलाई जब…

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Added by Afsos Ghazipuri on November 9, 2011 at 12:30am — 4 Comments

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