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Harjeet Singh Khalsa's Blog (3)

चित्रगुप्त का हिसाब

मंदिर के बाहर भिखारियों की कतार में वो भी खड़ा था, पर भिखारी नहीं लगता था, उसकी आँखों में खुद्दारी, चेहरे पे आत्मविश्वास था । सेठजी हमेशा की तरह एक घंटे की पूजा की समाप्ति के बाद बाहर आये, चाल में अमीरों वाला रौबीलापन और चेहरे पे दानकर्ता होने का गर्व, जैसे साक्षात् भगवान् लोगों का दुःख दूर करने उतर आये हो, सबसे ज्यादा आकर्षक वो फूली हुई तोंद, शायद संसार के हर पुण्य का हिसाब इसी में हो, साथ में पचास के नोटों की गड्डी लिये बूढ़ा मुनीम, जो कई पुश्तों से सेठजी के सभी काम धंधों का हिसाब किताब…

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Added by Harjeet Singh Khalsa on March 3, 2013 at 5:30pm — 3 Comments

ग़ज़ल : कुरबतों में खुश न थे

कुरबतों में खुश न थे, फुर्क़तों का ग़म भी नहीं,

पहले जैसे वो अब नहीं, पहले जैसे हम भी नहीं ।

बात जो लब पर है रुकी, जान शायद लेकर रहे,

भूलने का दिल भी नहीं, कह दे इतना दम भी नहीं ।

फिर उदासी बढ़ने लगी, शाम से पहले क्या करें,

इक यहाँ तुम भी नहीं, दूसरे मौसम भी…

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Added by Harjeet Singh Khalsa on February 24, 2013 at 3:30am — 6 Comments

श्रधांजली ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह



ग़ज़लों का बादशाह, नज़्मो का सौदागर गया,

एक उसका जाना, करोड़ो को तनहा कर गया....



किनारे जिसने लगाया दर्दमंदो को सहारा देकर,

कागज़ की उस कश्ती में आज पानी भर गया.....



अपने होठों से छुए जिसने जज़बात हजारों के,

तरन्नुम का वो जादूगर करके आंख तर गया.....



अब न वो गायकी होगी, न वैसी महफिले होगी,

शायरी पसंदों का ख्वाब जैसे कोई बिखर गया...



न शेर कोई लब पर, न ग़ज़ल कोई…
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Added by Harjeet Singh Khalsa on October 12, 2011 at 11:30pm — 2 Comments

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