डूबते को जैसे तिनके का, सहारा काफी होता है
हर निराश चेहरे का, उम्मीद हीं साथी होता है
अंधेरी गुफा में जब कोई राही, अपनी राह बनाता है
आँखों से कुछ दिख ना पाए, उम्मीद पर बढ़ता जाता है
जब कोई अपना संगी-साथी, अपनों से बिछड़ जाए
और दूर तक उसके पग के, निशां ना हमको मिल पाए
तब भी ये उम्मीद हीं है, जो हमको बांधे रखती है
मिल जाएगा हमदम…
ContinueAdded by AMAN SINHA on December 19, 2022 at 3:05pm — 1 Comment
हम मिलें या ना मिलेंं, चाहे फूल ना खिलें
लेकिन इन हवाओं में, हमारा वजूद होना चाहिए
हम चलें जिस राह में, मंज़िलों की चाह में
गर मिल सके ना कारवाँ से
राहपर अपने मगर, निशान होने चाहिए …
ContinueAdded by AMAN SINHA on December 12, 2022 at 2:00pm — 1 Comment
नर हूँ ना मैं नारी हूँ, लिंग भेद पर भारी हूँ
पर समाज का हिस्सा हूँ मैं, और जीने का अधिकारी हूँ
जो है जैसा भी है रुप मेरा, मैंने ना कोई भेष धरा
अपने सांचें मे कसकर हीं, ईश्वर ने मेरा रुप गढ़ा
माँ के पेट से जन्म लिया, जब पिता ने मुझको गोद लिया
मेरी शीतल काया पर ही, शीतल मेरा नाम दिया
जैसे-जैसे मैं…
ContinueAdded by AMAN SINHA on December 5, 2022 at 1:26pm — 1 Comment
जा रे-जा रे कारे कागा मेरे छत पर आना ना
आना है तो आजा पर छत पर शोर मचाना ना
तू आएगा छत पर मेरे कांव-कांव चिल्लाएगा
ना जाने किस अतिथि को मेरे घर बुलाएगा
उल्टी पड़ी पतीली मेरी और चूल्हे में आंच नहीं
थाल सजाऊँ कैसे मैं घर में…
ContinueAdded by AMAN SINHA on November 28, 2022 at 4:44pm — 4 Comments
अंतरराष्ट्रीय_पुरुष_दिवस
पुरूष क्यूँ
रो नहीं सकता?
भाव विभोर हो नहीं सकता
किसने उससे
नर होने का अधिकार छिन लिया?
कहो भला
उसने पुरुष के साथ ऐसा क्यूँ किया?
क्या उसका मन आहत नहीं होता?
क्या उसका तन
तानों से घायल नहीं होता?
झेल जाता है सब कुछ
बस अपने नर होने की आर में
पर उसे रोने का अधिकार नहीं है
रोएगा तो कमज़ोर माना जायेगा
औरों से उसे
कमतर आँका जायेगा
समाज में फिर तिरस्कार होता है
अपनों के हीं सभा…
Added by AMAN SINHA on November 19, 2022 at 6:00pm — No Comments
सावन सूखा बीत रहा है, एक बूंद की प्यास में
रूह बदन में कैद है अब भी, तुझ से मिलने की आस में
जैसे दरिया के लहरों, में कश्ती गोते खाते है
हम तेरी यादों में हर दिन, वैसे हीं डूबे जाते है…
ContinueAdded by AMAN SINHA on November 14, 2022 at 9:47am — No Comments
Added by AMAN SINHA on November 7, 2022 at 2:29pm — 1 Comment
शिष्टाचार ही मिलती है पागलपन नहीं मिलता
गैरों की बोली में अपनापन नहीं मिलता
अपनी भाषा माँ का आँचल याद हमेशा आती है
द्वेष,क्रोध,विलाप हो जितना, हर भाव समझाकर जाती है
पर भाषा के बल पर चाहे समृद्ध जितने भी हो जाओ
पर वहाँ पर डटें रहने की दृढ़ता अपनी भाषा से हीं पाओ
किराए के मकान में कभी आँगन नहीं मिलता
गैरों की बोली में अपनापन नहीं मिलता
चाहे जितना लेख लिखो तुम, चाहे जितने…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 31, 2022 at 9:38am — No Comments
अबके बरस जो आओगे, तो सावन सूखा पाओगे
सूख चुके इन नैनों को तुम, और भींगा ना पाओगे
और अगर तुम ना आए, प्यास ना दिल की बुझ पाए
पत्थराई नैनों सा फिर, दिल पत्थर ना हो जाए
अबके बरस जो आओगे, बसंत शुष्क सा पाओगे
मन के उजड़े बागीचे में, एक फूल खिला ना पाओगे
और अगर तुम ना आए, अटकी डाली ना गिर जाए
सूखे मुरझाए मन को मेरे, पतझर हीं ना भा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 25, 2022 at 1:12pm — 1 Comment
भूख लगती है कभी जो, याद इसकी आती है
ना मिले तो पेट में फिर, आग सी लग जाती है
राजा हो या रंक देखो, इसके सब ग़ुलाम है
तीनो वक़्त खाने से पहले, करते इसे सलाम है
रुखी-सुखी जैसी भी हो, पेट यह भर जाती है
चाह में अपनी हर किसी, को राह से भटकाती है
जिसने इसको पा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 17, 2022 at 11:21am — 3 Comments
हाँ-हाँ मैं अपराधी हुँ बस, अधर्म करने का आदि हूँ
पर मुझको खुद पर लाज नहीं, जो किया मैं उसपर गर्वित हुँ
जो देखा सब यहीं देखा, जो सीखा सब यहीं सीखा
मैं माँ के पेट का दोष नहीं, ना हीं मैं सुभद्रा का बेटा
दूध की प्याली के खातिर, मैंने माँ को बिकते देखा है
अपने पेट की भूख मिटाने, बाप से पिटते देखा है
फटें कपड़ो से तन को ढकते, बहनों के संघर्ष…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 10, 2022 at 10:34am — No Comments
ना तुझे पाने की खुशी, ना तुझे खोने का ग़म
मिल जाए तो मोहब्बत, ना मिले तो कहानी है
ना आँखों में आँसू और ना चेहरे पर पानी
बेचैन मोहब्बत में, बदनाम जवानी है
ना तेरे साथ की चाहत,…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 4, 2022 at 12:38pm — 3 Comments
ज़िंदा हूँ अब तक मरा नहीं, चिता पर अब तक चढ़ा नहीं
साँसे जब तक मेरी चलती है, तब तक जड़ मैं हुआ नहीं
जो कहते थे हम रोएंगे, कब तक मेरे ग़म को ढोएंगे?
पहले पंक्ति में खड़े है, जो कहते है कैसे सोएँगे?
मैं धूल नहीं उड़ जाऊंगा, धुआँ नहीं गुम हो जाऊँगा
हर दिल में मेरी पहूंच बसी, मर के भी याद मैं आऊँगा
कैसा होता है मर जाना, एक पल में सबको तरसाना
मूँह ढाके शय्या पर लेटा, मैं तकता हूँ सबका रोना
साँसों को रोके रक्खा है, कफन भी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 26, 2022 at 2:00pm — No Comments
पहली बार उसको मैंने, उसके आँगन में देखा था
उसकी गहरी सी आँखों में, अपने जीवन को देखा था
मैं तब था चौदह का, वो बारह की रही होगी
खेल खेल में हम दोनों ने, दिल की बात कही होगी
समझ नहीं थी हमें प्यार की, बस मन की पुकार सुनी
बचपन के घरौंदे ने फिर, अमिट प्रेम की डोर बुनी
उसे देखकर लगता था जैसे, बस ये जीवन थम…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 19, 2022 at 2:51pm — 8 Comments
जब तक तुमने खोया कुछ ना, दर्द समझ ना पाओगे
चाहे कलम चला लो जितना, कुछ ढंग का लिख ना पाओगे
जो तुम्हारा हृदय ना जाने, कुछ खोने का दर्द है क्या
पाने का सुकून क्या है, और ना पाने का डर है क्या
कैसे पिरोओगे शब्दों में तुम, उन भावों को और आंहों को
जो तुमने ना महसूस किया हो, जीवन की असीम व्यथाओं को
जब तक अश्क को चखा ना तुमने, स्वाद भला क्या…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 12, 2022 at 2:09pm — No Comments
कितना कठिन था बचपन में गिनती पूरी रट जाना
अंकों के पहाड़ो को अटके बिन पूरा कह पाना
जोड़, घटाव, गुणा भाग के भँवर में जैसे बह जाना
किसी गहरे सागर के चक्रवात में फँस कर रह जाना
बंद कोष्ठकों के अंदर खुदको जकड़ा सा पाना
चिन्हों और संकेतों के भूल-भुलैया में खो जाना
वेग, दूरी, समय, आकार, जाने कितने आयाम रहे
रावण के दस सिर के जैसे इसके दस विभाग रहे
मूलधन और ब्याज दर में ना जाने कैसा रिश्ता था
क्षेत्रमिति और…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 5, 2022 at 2:58pm — 2 Comments
हिंदी क्या है?
बस एक लिपि?
नहीं
बस एक भाषा?
नहीं
बस एक अनुभव है?
नहीं
हिंदी आत्मा है,
सम्मान है, स्वाभिमान है
भारत की पहचान है
हिंदी क्या है?
बस एक बोली?
नहीं
बस एक संवाद का माध्यम?
नहीं
बस एक भाव?
नहीं
हिंदी जान है, गुमान है,
आर्याव्रत का अभिमान है
हिंदी क्या है?
एक रास्ता है
जिसपर…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 31, 2022 at 10:24am — No Comments
कुछ क्षण हीं शेष है अब तो, मिल जाओ तुम तो अच्छा है
कैसे मैं समझाऊँ तुमको, जीवन का धागा कच्चा है
साँस में आस जगी है अब भी, तुम मुझसे मिलने आओगे
आँखें बंद होने से पहले, आँखों की प्यास बुझाओगे
तुम बिन मेरा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 29, 2022 at 3:11pm — No Comments
प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया
शीर्ष प्रणाम उन गुरुजनों को, ज्ञान का जिन्होंने आशीष दिया
फिर प्रणाम उन पूर्वजों को, मैं जिनका वंशज बनकर जन्मा
शेष प्रणाम उन मित्रजनों को, जिनसे है मुझको प्रेम घना
मैं न भुला उन बहनो को, राखी जिसने बांधी थी
जिसकी सदा रक्षा करने की, मैंने कसमें खाई थी
छोटे-बड़े सब भाई मे,रे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 22, 2022 at 12:30pm — No Comments
एक जनम मुझे और मिले, मां, मैं देश की सेवा कर पाऊं
दूध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं
मुझको तुम बांधे ना रखना, अपनी ममता के बंधन में
मैं उसका भी हिस्सा हूँ मां, तुमने है जन्म लिया जिसमे
शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है
लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी, मां, बस एक बलिदान ही मांगे है
सब हीं आंचल मे छुपे रहे तो, देश को कौन संंभालेगा
सीमा पर शत्रु सेना से, फिर कौन कहो लोहा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 15, 2022 at 11:43am — No Comments
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