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हिंदी क्या है?

बस एक लिपि?

नहीं

बस एक भाषा?

नहीं

बस एक अनुभव है?

नहीं

हिंदी आत्मा है,

सम्मान है, स्वाभिमान है

भारत की पहचान है

 

हिंदी क्या है?

बस एक बोली?

नहीं

बस एक संवाद का माध्यम?

नहीं

बस एक भाव?

नहीं

हिंदी जान है, गुमान है,

आर्याव्रत का अभिमान है

 

हिंदी क्या है?

एक रास्ता है

जिसपर चलकर

हम खुदो को पहचानते हैं

एक लक्ष्य है

जो हमारा व्यक्तित्व निखारती है

 

हमारा रोना भी हिंदी है,

और हँसना भी हिंदी हीं है

ये हमें

जितना समझ मे आती है

हमें

उतना शहनशील बनाती है

 

क्या कोई ऐसा शब्द

इस संसार में है?

जिसे हिंदी में लिखा

या उसका उच्चारण

ना किया जा सके

क्या कोई ऐसा वाक्य है?

जिसे हिंदी में पिरोया ना जा सके

 

इतनी सरल है कि

मुगलों को भी

अपनी भाषा जैसी लगी

वो भी खुद को इसे अपनाने से

रोक नहीं पाये

ये इतनी समृद्ध है कि

गोरों ने ना सिर्फ इसे सीखा

बल्कि इसके शब्द भी अपने साथ

अपने देश ले गये

 

इतना विशाल कि

सागर भी इसमे समा जाये

और इतना सुक्ष्म कि

एक बच्चे की जिह्वा पर सज जाये

इतना सटिक कि

हर भाषा इसमे समाहित हो जाये

इतना मधूर कि

जो भी इसे चखे

बस इसिका होकर रह जाये

 

 

तो आओ

आज हम सब मिलकर ये प्रण ले

इस प्यारी भाषा को

हमारी मातृ भाषा को

और समृद्ध करें

हिंदी पढें, हिंदी कहें

हिंदी लिखें, हिंदी सुने

हिंदी पहने, हिंदी ओढें

हिंदी बने, हिंदी बनाये

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

 

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